स्मृतिसागर रस स्मरणशक्ति को बढ़ाने के साथ साथ विभिन्न मानसिक रोगों में उत्तम आयुर्वेदिक दवा का काम भी करता है . Biovatica के इस आर्टिकल में मानसिक व् दिमागी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद आयुर्वेदिक औषधि स्मृतिसागर रस का सम्पूर्ण विवरण दिया जा रहा है .
कज्जली ( शुद्ध पारा और गंधक ), शुद्ध हरताल , शुद्ध मेनसिल , ताम्रभस्म और स्वर्णमाक्षिक भस्म - सभी 50 -50 ग्राम . बच और ब्राह्मी - 250 -250 ग्राम तथा मालकांगनी तेल 25 ग्राम .
सर्वप्रथम उपरोक्त वर्णित सभी द्रव्यों को ( बच , ब्राह्मी और मालकांगनी तेल को छोड़कर ) खरल में बारीक़ घोंट लें . फिर उसमे मालकांगनी तेल डालकर अच्छी तरह घुटाई करें . बच और ब्राह्मी को जौकुट कर उसका काढ़ा तैयार करें और घुटाई किये गए द्रव्यों को इस काढ़े की 21भावना दें . इसके बाद 1 - 1 रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सूखा लें .
स्मृतिसागर रस की 1 -1 गोली दूध के साथ सुबह सेवन करना चाहिए . ब्राह्मी घृत आधा चम्मच दूध में मिलाकर इस दूध के साथ सुबह शाम स्मृति सागर रस की 1 -1 गोली लेने से और अधिक फायदा होता है .
स्मृतिसागर रस स्मरणशक्ति यानी याददाश्त बढ़ाने वाली उत्तम आयुर्वेदिक दवा है . स्मृतिसागर रस के सेवन से स्नायविक दुर्बलता दूर होती है जिससे कई प्रकार की ममानसिक बिमारियों में लाभ मिलता है . मस्तिष्क की कमजोरी से उत्पन्न होने वाले रोग जैसे बेहोशी , उन्माद या पागलपन , मिर्गी , हिस्टीरिया आदि में स्मृतिसागर रस का प्रयोग अति लाभदायक होता है . स्मृतिसागर रस के सेवन से ज्ञानवाहिनी नाड़ियों को बल और चेतना प्राप्त होती है . स्मृतिसागर रस का उपयोग मानसिक बिमारियों में होता है . किसी किसी व्यक्ति की स्मरणशक्ति स्वस्थ रहते हुए भी कमज़ोर हो जाती है . इस प्रकार याददाश्त को सबल और सचेष्ट बनाने के लिए स्मृतिसागर रस का उपयोग करना लाभदायक होता है .