कामचूड़ामणि रस के घटक द्रव्य (ingredients of kamchudamani Ras ) - मुक्ता पिष्टी, सुवर्ण माक्षिक भस्म, सुवर्ण भस्म, भीमसेनी कपूर, जावित्री, जायफल, लौंग, वंग भस्म और रजत भस्म - ये नौ औषधियां २०-२० ग्राम. दालचीनी , तेजपात छोटी इलायची के दाने और नागकेसर - चारों का पिसा हुआ सम भाग मिश्रण ९० ग्राम.
कामचूड़ामणि रस निर्माण विधि (preparation method of kaam chudamani Ras ) - ऊपर लिखे सभी द्रव्यों को भलीभांति मिला कर , खरल में डाल कर सात दिन तक घुटाई करवाने के बाद १-१ रत्ती की गोलियां बना लें. एक ग्राम में आठ रत्ती होती है.
कामचूड़ामणि ऱस मात्रा और सेवन विधि (kamchudamani Ras quantity and dosage ) - सुबह और रात को सोने से पहले मिश्री मिले कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ २-२ गोली लें.
कामचूड़ामणि ऱस के स्वास्थ्य लाभ (Advantages and health benefits of Kamchudamani Ras ) - कामचूड़ामणि रस रसायन गुण रखने वाला योग है, शीतवीर्य , पौष्टिक और कामोत्तेजना पैदा करने वाला वाजीकारक योग है. जिन युवकों ने हस्तमैथुन या अत्यधिक स्त्री सहवास करके लम्बे समय तक शुक्र धातु का नाश किया हो उनके लिए कामचूड़ामणि ऱस अमृत के सामान अत्यंत लाभदायक है. कामचूड़ामणि रास की ये विशेषता है की ये योग कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं करता और अपने प्रभाव से रोगी के सभी प्रकार के यौन रोगों जैसे शीघ्रपतन,नपुंसकता, लिंग की शिथिलता आदि को दूर करता है.
काम चूड़ामणि रस का प्रयोग, यौन दौर्बल्य एवं किसी भी यौन व्याधि के लिए करते समय मन वचन कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना और कामुक विचार - चिंतन से सर्वथा बच कर रहना अनिवार्य है. धातु दौर्बल्य , नपुंसकता आदि यौन व्याधि के रोगी को कामचूड़ामणि रस के साथ ही शतावरी घृत १-१ चम्मच, विगोजेम व् दिव्य रसायन वटी की २-२ गोली भी लेनी चाहिए और गुप्तेंद्रिय की शिथिलता दूर करने के लिए श्री गोपाल तेल या मस्ती तेल की मालिश करनी चाहिए.
मादक द्रव्यों के सेवन से आयी शिथिलता और कमज़ोरी को दूर करने के लिए कामचूड़ामणि रस का सेवन च्यवनप्राश अवलेह के साथ करना चाहिए . कामचूड़ामणि रस में कोई मादक द्रव्य भी नहीं है अतः इसे पूरे वर्ष किसी भी ऋतू में सेवन किया जा सकता है. जिन युवकों को अत्यधिक हस्तमैथुन या अति स्त्री सहवास से नपुंसकता का अनुभव हो रहा हो उन्हें कामचूड़ामणि रस के साथ पौष्टिक आहार भी लेना चाहिए. चूँकि कामचूड़ामणि रस रसायन के गुण रखता है इसलिए पुरुषों की तरह स्त्रियों के लिए भी हितकारी है . जैसे यह पुरुषों के शुक्र को शुद्ध , शीतल , सबल और गाढ़ा बनाता है उसी तरह स्त्रियों के रज को भी शुद्ध व् सशक्त बनाता है. पुरुषों के शुक्र और शुक्राणुओं को लाभ करने के साथ ही साथ स्त्रियों के डिम्बाशय, डिम्ब और रज को भी लाभ करता है इसलिए कामचूड़ामणि रस का सेवन पति पत्नी दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होता है.
संक्षेप में ये कहना उचित व् पर्याप्त होगा की कामचूड़ामणि रस सही मायनो में पुरुष को पुरुषत्व प्रदान कर "मर्द " बनाता है और स्त्री को स्त्रीत्व प्रदान कर "सम्पूर्ण स्त्री " बनाता है.