कालमेघ एक ऐसी आयुर्वेदिक वनस्पति है जिसका नाम ज्यादा लोग नहीं जानते लेकिन वैद्यों और औषधि विक्रेता व् निर्माता इसे खूब जानते हैं. इसका उपयोग कई प्रकार के रोगों की चिकित्सा में किया जाता है. इस वनस्पति के बारे में उपयोगी जानकारी इस आर्टिकल में प्रस्तुत की जा रही है:-
कालमेघ के विभिन्न भारतीय भाषाओँ में नाम :-
संस्कृत - भूनिंब,कालमेघ
हिंदी - कालमेघ, कल्पनाथ.
मराठी - ओली किरिआत
गुजराती - करियातु
तेलुगु - नेल्वेसु
कन्नड़ - नलबेरु
तमिल - नेल्वेसु
कोंकणी - किरातून
मलयालम - नेलवेषु
उड़िया - भुईनीमो
फ़ारसी - नैनेवहंदी
इंग्लिश - Andrographis Paniculata
कालमेघ के गुण (characteristics of kaalmegh in hindi ) - कालमेघ तिक्त (तीखी) , हलकी, रूखी, गर्म, कफ पित्त शामक, जठराग्नि बढ़ने वाली, पसीना लाने वाली, कड़वी, कृमिनाशक, पित्त निकलने वाली, यकृत विकार, कृमि, कुष्ठ और ज्वर आदि रोगों को नष्ट करने वाली वनस्पति है.
कालमेघ का परिचय (introduction of kaalmegh ) - कालमेघ ज्वरनाशक औषधि के रूप में जानी जाने वाली वनस्पति है लेकिन यह कुनैन की तरह प्रभावशाली नहीं है. कालमेघ का पौधा १ से ३ फ़ीट तक ऊँचा होता है . इसका पौधा यूँ तो सारे भारत में पाया जाता है फिर भी उत्तरप्रदेश, बिहार व् बंगाल में ज़्यादा पाया जाता है.
कालमेघ मात्रा व् सेवन विधि (कालमेघ क्वांटिटी एंड दोसागे ) - कालमेघ की जड़ का चूर्ण दो से चार रत्ती और इसके पत्तों का रास १० से २० बून्द पानी में दाल कर सुबह शाम लेना चाहिए.
कालमेघ के उपयोग व् लाभ (Advantages and health benefits of kaalmegh in hindi ) - कालमेघ बच्चों के लिए विशेष उपयोगी है. इसका उपयोग अतिसार, साधारण ज्वर, सर दर्द, अजीर्ण आदि रोगों की चिकित्सा में किया जाता है. कालमेघ के उपयोग से उदार पीड़ा, अनियमित दस्त लग्न, अग्निमांध और बुखार आदि रोग ठीक हो