Inability to perform sexual function or lack of sexual power is called impotence.
Mental stress, depression, guilt, inter personal relationship.
Lack of knowledge about sex.
Endocrine disorders like tumour, acromegaly, thyroid disorders, diabetes etc.
Other – extreme obesity, drug abuse, Parkinson's, spinal cord injury.
Acupressure treatment of impotence:-
If it is due to some disease, the related disease should be taken first. Other points are:-
Du 4, 20
CV 2, 3, 4, 6
UB 23
K 3
Liv 8
Sp 6
Reflex points: testes, prostate, pituitary, thyroid, lymphatic areas.
आज सारे विश्व के चिकित्सक और शरीर-विज्ञान शास्त्री इस बात से चिंतित हैं की इन दिनों पुरुषों में नपुंसकता बढ़ती जा रही है और पीड़ित पुरुष इस बीमारी की चिकित्सा के लिए इधर-उधर गुप्त रोग विशेषज्ञों से इलाज कराने के लिए दौड़-धुप कर रहे हैं. इस विकत और शोचनीय परिस्थिति पर इस लेख में चर्चा की जा रही है. पात्र-पत्रिकाओं में यौन विशेषज्ञों , चिकित्सकों, सर्वेक्षण और अनुसंधानकर्ताओं की राय और रिपोर्ट पढ़ने के अलावा हम स्वयं भी गत कई वर्षों में, website visitors से प्राप्त, यौन समस्या सम्बन्धी पात्र पढ़ कर इस चिंता में पड़े हुए हैं की आज के अधिकाँश नवयुवकों के जो हाल बेहाल हैं, जिस तरह से उन्होंने अपने शरीर और स्वास्थ्य को चौपट कर रखा है और दिन-ब-दिन बिगड़ते हुए वातावरण के प्रभाव से ,आगे भी कोई सुधार होने की सम्भावना दिखाई नहीं दे रही है बल्कि और बिगड़ने की सम्भावना ज्यादा दिखाई दे रही है तो ज़रा सोचिये की कल को देश के सामने कैसी विकट परिस्थिति आने वाली है. आज के ये पीड़ित, परेशान, हीन मनोबल, यौन-व्याधियों और नपुंसकता से ग्रस्त-त्रस्त युवक ही तो २१वीं सदी में देश के नागरिक होने वाले हैं तो मन में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है की क्या २१वीं सदी में अधिकांश पुरुष नपुंसक होंगे? और आप ऐसा मत सोचना की यह विकट, भयावह और अत्यधिक चिंतनीय परिस्थिति , हमारे ही देश के युवा जगत के सामने है, यह समस्या तो पूरे विश्व के युवा जगत को जकड़े हुए है. हम तो हमारे देश के बारे में इसलिए चर्चा कर रहे हैं क्यूंकि हम पहले अपने घर की तो फ़िक्र कर लें. charity begins from home के अनुसार शुभ काम की शुरुआत हमें खुद से ही करनी चाहिए इसलिए हम अपने देशवासियों के ही सामने इस ज्वलंत, भीषण और तेजी से बढ़ रही समस्या के बारे में चर्चा प्रस्तुत कर रहे हैं.
यह समस्या व्यक्तिगत नहीं पूरे राष्ट्र की समस्या है. पुरे राष्ट्र की प्रतिष्ठा और अस्मिता की समस्या है. इसलिए इस पर की जाने वाली चर्चा, मामूली नहीं हो सकती. क्यूंकि कुछ ऐसे तथ्य और आंकड़े सामने आ रहे हैं की दूरदर्शिता और गहरी सूझबूझ रखने वाले हर प्रबुद्ध देशवासी को इस चर्चा पर न सिर्फ ध्यान ही देना होगा बल्कि इसका उचित निष्कर्ष प्राप्त कर अमल भी करना होगा. हम यहाँ कुछ मुद्दे प्रस्तुत कर रहे हैं, सो कृपया इन्हे पढ़ कर इन पर विचार-चिंतन शुरू करें और अपने इष्ट-मित्रों को भी इसमें शामिल करें.
विचारणीय मुद्दे - पत्र - पत्रिकाओं में छपने वाले समाचारों, सर्वेक्षण की रिपोर्टों, यौन विशेषज्ञों, चिकित्सा विज्ञानं एवं शरीर विज्ञानं के विद्वानों के विचार पढ़ने से आज के युवा वर्ग की वास्तविक स्थिति का जो आभास मिलता है, वह किसी भी राष्ट्र प्रेमी, विचारशील और सहृदय व्यक्ति को चिंतित और दुखी कर देगा. एक रिपोर्ट के अनुसार हर १० में से १ भारतीय नपुंसक है यानि १० प्रतिशत भारत के पुरुष आज नपुंसक है और महानगरों में यह प्रतिशत और भी ज्यादा हो सकता है. इसका मतलब है की भारत में आज दस करोड़ पुरुष नपुंसक हैं और वातावरण जिस गति से बिगड़ता जा रहा है, नै पीढ़ी के बच्चे जैसा आचार-विचार ग्रहण कर रहे हैं उसको देखकर यह निष्कर्ष निकलना मुश्किल नहीं है की २१वी सदी में यह संख्या कई गुना बढ़ जाएगी, वैसे ही जैसे आज से २०-२५ साल पहले भारत में एड्स का एक भी रोगी नहीं था और आज लाखों हैं, कल करोड़ों होने वाले हैं.
दूसरा मुद्दा महत्वपूर्ण और बुनियादी है की आज की नयी पीढ़ी के बच्चे , कच्ची उम्र में ही सेक्स के बारे में उतनी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं जितनी उनके बाप दादों को भी नहीं थी. कच्ची उम्र में ही बच्चे कामुक, निर्लज्ज, ढीठ, मुंहफट, स्वच्छंद और मनमौजी हो रहे हैं तो बड़े होने पर क्या गुल खिलाएंगे, इसकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती..