पूरे भारत में सर्वत्र पाया जाने वाला पौधा सदासुहागन मोटापा कम करने और रक्तशर्करा (मधुमेह/डायबिटीज ) को नियंत्रित करने में आश्चर्यजनक रूप से सफल सिद्ध हुआ है. हम यहाँ इस पौधे (plant ) के गुण, कर्म और उपयोग के बारे में जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं.
सदा सुहागन का पौधा देश भर में सर्वत्र पाया जाता है. इसके सफ़ेद फूल मोटापा कम करने में और बैंगनी फूल रक्तशर्करा को कम करने में बहुत गुणकारी सिद्ध हुए है. इस पौधे के गुण, कर्म और प्रभाव के बारे में विवरण प्रस्तुत है.
सबसे पहले विभिन्न भाषाओँ में इसके नाम प्रस्तुत हैं :-
संस्कृत - सदां पुष्पा
हिन्दी- सदा सुहागन , सदा बहार , बारहमासी.
मराठी - सदाफूल
बंगला - नयनतारा
तेलुगु - बिलगननेरू
तमिल - सदुकाडूं मल्लिकाई
मलयालम उषामलरी
पंजाबी - रतनजोत
इंग्लिश - रेडपरी विंकल (redperi winkle )
लैटिन - lochnera rosea
सदाबहार (सदासुहागन) के गुण (characteristics of sadasuhagan ,sadabahar ) - सदाबहार हल्का, रूखा, कषाय व् तिक्त रस युक्त, विपाक में कटु, उष्णवीर्य और प्रभाव में रक्तार्बुद नाशक है. यह वात और कफ का शमन करता है, मस्तिष्क को शांति देता है, प्रमेह का नाश करता है, मधुमेह को नियंत्रित करता है, भारनाशक है और मोटापा दूर करता है.
सदासुहागन के पौधे दो प्रकार के होते हैं सफ़ेद फूल वाले और बैंगनी फूल वाले. इसका पौधा देश भर में बाग़ बगीचों में पैदा होता है. इसके पौधे में पूरे वर्षभर फूल आते रहते हैं इसलिए इसे बारहमासी भी कहते हैं. यह सदा हराभरा रहता है इसलिए इसे सदाबहार और सदासुहागन कहते हैं.
रासायनिक संघटक (chemical ingredients of sada suhagan plant ) - पौधे के पंचांग, खास तौर पर जड़ की छाल में क्षाराभ पाए जाते हैं जिनमे सर्पगंधा वर्ग के Ajmalicine , Serpentin , Reserpine आदि पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त Lochnerin , Lochnericine , Virosine आदि ११ क्षाराभ और भी पाए जाते हैं. मूल तत्व यानि जड़ की छाल में एक फैलोनिक राल, एक उड़नशील तेल, दो अल्कोहल, दो ग्लायकोसाइड, टैनिन, कैरोटिनॉइड, स्टिरोल, उर्सोलिक एसिड होते हैं. बैंगनी रंग के फूलों में एमपोसायनिन होता है.
सदासुहागन मधुमेह उपचार (diabetes treatment with sadasuhagan /sadabahar in hindi ) - सदाबहार के बैंगनी रंग के फूल बढ़ी हुई रक्त शर्करा (blood sugar ) को कम करने वाले सिद्ध हुए हैं. यह प्रयोग सुबह खली पेट करना है. सुबह ताज़े ४-५ सदासुहागन के बैंगनी फूल तोड़ लें. एक कप पानी गर्म कर लें. एक खाली कप में फूल रख कर ऊपर से आधा कप गर्म पानी डाल कर १५-२० मिनट तक रखें. इतनी देर में फूलों का गुणतत्व पानी में आ जायेगा. अब फूल निकल कर निचोड़ कर फेंक दें. कप का पानी पी जाएँ ऊपर से शेष बचा आधा कप गर्म पानी पी जाएँ. ८ दिन तक यह प्रयोग कर बंद कर दें और शुगर की जांच करवा लें. जब कभी फिर ज़रूरत पड़े तब इसी विधि से ८ दिन प्रयोग करें और ८ दिन तक बंद रखें.
सदासुहागन मोटापा उपचार (obesity treatment with sadasuhagan /sadabahar in hindi ) - सुबह उठते ही खाली पेट सदसुहागन के तीन सफ़ेद फूल खूब चबा चबा कर खा लें. आठ दिन तक खा कर बंद कर दें और फिर अपना वज़न तौल लें. आठ दिन बंद रख कर फिर आठ दिन सेवन करें. ऐसे जब तक ज़रूरी हो तब तक ८ दिन खाएं और ८ दिन बंद रखें और पथ्य आहार-विहार का सेवन तथा अपथ्य आहार-विहार का त्याग रखें. ताज़ा सुपाच्य भोजन, छिलके वाली मूंग की दाल , हरी पत्तीदार सब्ज़ियां, मौसमी फल, बिना मलाई का दूध, ताज़ा दही और मट्ठा, सलाद और गरम पानी पथ्य है तथा गरिष्ठ बासा भोजन, तले तेज़ मिर्चमसाले वाले पदार्थ, घी, मक्खन, रबड़ी, आदि स्निग्ध पदार्थ, मिठाई, मीठे पदार्थ, मीठे फल तथा वसा युक्त पदार्थ का सेवन अपथ्य है.