सन्धिवात ( गठिया ) की आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपाय

आयुर्वेद और सन्धिवात ( गठिया ), सन्धिवात ( गठिया ) के लक्षण, कारण ,

सन्धिवात ( गठिया ) की आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपाय

आयुर्वेद और सन्धिवात ( गठिया ), सन्धिवात ( गठिया ) के लक्षण, कारण ,

img

Sandhivata ( Gathiya )

Due to constipation, indigestion, low digestive fire, amlapitta, vata imbalance etc. A disease strike which is called Sandhivata (Gathiya). Rapidly growing disease of today's times is Sandhivata (Gathiya) which is known as ARTHRITIS in medical terms. Ayurveda has given detailed overview and analysis of symptoms of Sandhivata (Gathiya), causes of Sandhivata (Gathiya), ayurvedic treatment of Sandhivata (Gathiya) and has also given instruction about pathy apathy i.e. appropriate diet regimen and eating habits in Sandhivata (Gathiya).. this complete information on Ayurveda's views on Sandhivata (Gathiya) is given below

Symptoms of Sandhivata (Gathiya) according to Ayurveda :-

Pain in knee joints, knot in joints due to which this disease is called Gathiya, stiffness in hand fingers if the disease has progressed much, deformity in fingers, curved back and Amlapitta , meaning patient's suffering from hyper acidity.

Causes of Sandhivata (Gathiya) according to Ayurveda :-

Storage of unwanted fluied in the body is the primary cause of Sandhivata (Gathiya). Other causes of Sandhivata (Gathiya) as per Ayurveda include not living in natural environment, stying in closed houses running air conditioners, eating too much or eating in wrong times, eating food that take long time in digestion, eating oily and fried food, eating food made from maida and starch, not doing excersise, sedentary lifestyle, use of very spicy or heavily salted food... all these are causes of Sandhivata (Gathiya) according to Ayurveda.

Ayurveda treatment methods of Sandhivata (Gathiya). :-

Coming soon.

Ayurvedic diet regimen to follow in Sandhivata (Gathiya ) :-

Take honey and lemon in cold water and observe fast for a week. If you don't like lemon then use only honey and cold water. Take juicy diet for one week which includes juice of green leaves, orange juice, coconut water, watermelon or any other seasonal fruit. Drink these juices 4-6 times a day and observe fast. Drink only water in one day of the week and observe complete fast. From third week eat salad, fruits and soups and sprouts four times in a day. From fourth week for three days eat salad 4 times in a day with fruits and soup, then for next three days replace soup with boiled vegetables and roti, eat rice with very light salt. Take salad and sprouted grain as well.

After doing this, start taking normal diet. This diet should be light and easily digestible. Stay away from spicy and long kept food. Also don't use tea, sugar, egg, meat, and fish, fried baked food and also strictly stay away from smoking and tobacco use.

आयुर्वेद और सन्धिवात ( गठिया )

आज के समय में जो रोग बड़ी तेजी से फ़ैल रहे हैं उनमे से एक सन्धिवात है जिसे बोलचाल की भाषा में गठिया व् मेटिकल भाषा में आर्थराइटिस कहते हैं . आयुर्वेद ने सन्धिवात ( गठिया ) के लक्षण , सन्धिवात ( गठिया ) के कारण , सन्धिवात ( गठिया ) के इलाज और सन्धिवात ( गठिया ) में पथ्य अपथ्य आहार विहार का सम्पूर्ण विवरण दिया है जो इस प्रकार है ;-

आयुर्वेद के अनुसार सन्धिवात ( गठिया ) के लक्षण :-

घुटनो में दर्द होना , जोड़ों में गाँठ बन जाना जिस कारण इस रोग का नाम गठिया पड़ा , रोग के अत्यधिक बढ़ जाने पर हाथों की उँगलियों का अकड़ जाना , उँगलियाँ टेढ़ी हो जाना , कमर झुक जाना , अम्लपित्त होना यानी रोगी का अति अम्लता से पीड़ित होना .

आयुर्वेद के अनुसार सन्धिवात ( गठिया ) के कारण :-

शरीर में विजातीय द्रव्य इकठ्ठा होना सन्धिवात ( गठिया ) रोग होने का प्रमुख कारण है . अधिक मात्रा में और वक़्त बेवक़्त भोजन करना , देर से पचने वाले गरिष्ठ पदार्थों व् तले हुए पदार्थों का सेवन करना , मैदा व् स्टार्च युक्त पदार्थ खाना , व्यायाम या परिश्रम न करना , तेज़ मिर्च मसालेदार पदार्थों व् नमक का अति सेवन करना आदि सन्धिवात ( गठिया ) रोग होने के प्रमुख कारण हैं .

 

सन्धिवात ( गठिया ) की आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपाय :-

प्रतिदिन प्रातः शौच करने के बाद कुनकुने गर्म पानी से एनिमा लेना , सप्ताह में दो दिन पूरे शरीर पर तेल से मालिश करके , मिटटी रगड़ कर स्नान करना . प्रातः थोड़ी देर धूप स्नान करना , सप्ताह में दो दिन गीली चादर लपेटना , दो दिन मिटटी का लेप करना , रोज सुबह शाम पेट व् पेडू ( तरेट ) पर मिटटी की पट्टी रखना , रोजाना कटिस्नान करना , सप्ताह में एक बार सादे पानी से कुंजर करना , रोज एक बार स्थानीय भाप देकर सूती कपडे की ठंडी लपेट दर्द वाले अंग पर रखना , सूजन बहुत ज्यादा हो तो बर्फ के ठन्डे पानी की पट्टी लगाना , रात को सोते समय पेडू व् दर्द के स्थानों पर ठंडी पट्टी रखना .

सन्धिवात (गठिया} में आयुर्वेदिक पथ्य आहार :-

एक सप्ताह तक ठन्डे पानी में शहद व् निम्बू ले कर उपवास रखें . यदि निम्बू उचित न लगे तो सिर्फ शहद और ठन्डे पानी का सेवन करें . इसके बाद एक सप्ताह तक रसाहार लें जिसमे हरे पत्तों का जूस , मौसम्बी जूस , नारियल पानी खरबूजे या अन्य मौसमी फलों का रस दिन में ४ - ६ बार पियें और उपवास रखें . सप्ततः में एक दिन सिर्फ पानी पी कर उपवास करें . तीसरे सप्ताह में दिन में चार बार सलाद , फल , हरे पत्ते और अंकुरित अन्न लें . चौथे सप्ताह में तीन दिन तक , दिन में चार बार सलाद , फल और सूप लें . फिर तीन दिन सूप के बदले उबली सब्जी व् रोटी , चावल बहुत हलके नमक के साथ लें . साथ में सलाद व् अंकुरित अन्न भी लें .

इतना करने के बाद सामान्य आहार लेने लगें . यह आहार हल्का , सुपाच्य और सात्विक होना चाहिए . तले हुए , तेज मिर्च मसालेदार और बासे पदार्थ , चाय , चीनी , अंडा , मांस , मछली , दालें , तला भुना भोजन , धूम्रपान , तम्बाकू आदि का सेवन कतई न करें .

 

 

Disease List