सुवर्ण मालिनी वसंत (suvarn malini vasant ), जिसे वर्ण मालिनी वसंत (varn malini vasant ) या स्वर्ण वसंत मालती (swarn vasant malti ) भी कहते हैं, एक ऐसा आयुर्वेदिक योग है जिसे किसी भी ऋतू में सेवन किया जा सकता है. और जो बच्चे, जवान वृद्ध सब आयु वालों के लिए सामान रूप से उपयोगी है. महिला वर्ग में युवती, विवाहित, सगर्भा और प्रौढ़ यानी यानी सभी आयु की महिलाओं के लिए यह योग निरापद (harmless ) ढंग से सेवन योग्य है. इतना ही नहीं, किसी भी ऋतू में, किसी भी जलवायु में, किसी भी देश में और किसी भी तासीर (प्रकृति) वाला व्यक्ति इसे सेवन कर सकता है. अत्यंत मूलयवान घटक द्रव्यों वाला नुस्खा होने से यह महंगा अवश्य है पर गुणों व् लाभों को देखते हुए इसका मूल्य अखरने वाला नहीं है. यह योग इसी नाम से बना हुआ बाजार में मिलता है अतः प्रतिष्ठित और विश्वसनीय आयुर्वेदिक निर्माता कंपनी द्वारा बनाया हुआ खरीद कर सेवन कर लेना चाहिए. इसमें चूँकि रस-भस्मों को तैयार कर उपयोग में लिया जाता है अतः घर पर बना लेना हर किसी के लिए संभव तो नहीं फिर भी इसकी उपयोगिता के साथ इसके घटक द्रव्य और निर्माण विधि सम्बन्धी विवरण हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं.
सुवर्ण मालिनी वसंत घटक द्रव्य (ingredients of suvarn malini vasant ) - स्वर्ण भस्म या सोने का वर्क १० ग्राम, मोती पिष्टी २० ग्राम, शुद्ध हिंगुल ३० ग्राम, सफ़ेद मिर्च ४० ग्राम, और शुद्ध खर्पर ८० ग्राम. गाय के दूध का ताज़ा मक्खन २५ ग्राम तथा निम्बू का रस आवश्यकतानुसार .
सुवर्ण मालिनी वसंत निर्माण विधि (preparation method of suvarn malini vasant ) - सबसे पहले स्वर्ण भस्म या सोने के वर्क तथा शुद्ध हिंगुल को खरल में डालकर अच्छे से घुटाई कर एक जान कर लें. यदि सोने के वर्क लें तो एक-एक वर्क डालते जाएँ और घोंटते जाएँ और जब तक सोने के वर्क अच्छी तरह से घुट कर शुद्ध हिंगुल के साथ एक जान न हों जाये तब तक घुटाई करते रहें. इसके बाद इसमें मोती पिष्टी , सफ़ेद मिर्च और खर्पर डालकर मक्खन मिलकर ३ घंटे तक घुटाई करें. निम्बू का ताज़ा रस आवश्यक मात्रा में निकाल कर कपडे से छान कर रख दें. जब कचरा नीचे बैठ जाए तो साफ़ रस इस मिश्रण में उतनी ही मात्रा में मिलाएं की सभी औषधियां उसमे डूब जाएँ. अब इसकी दिन में १० से १२ बार १० से १५ मिनिट तक घुटाई करें और ढँक कर रखें. यह क्रम लगभग ७-८ दिन तक चलता है. निम्बू के रस में घुटाई उतने दिनों तक करें जितने दिनों में खरलीय औषध द्रव्यों से मक्खन की चिकनाई दूर हो जाए . ७-८ दिन बाद जब चिकनाई दूर हो जाए और मिश्रण सूख कर गाढ़ा होने लगे तब इसकी १००-१०० मिग्रा की यानी मूंग के दाने बराबर गोलियां बनाकर छाया में सूखा लें. यह स्वर्ण मालिनी वसंत तैयार है.
सुवर्ण मालिनी वसंत मात्रा और सेवन विधि (suvarn malini vasant quantity and dosage ) - १ से २ गोली सुबह शाम सेवन करें. विविध रोगों में इस औषधि को अलग-अलग अनुपान के साथ लिया जाता है. जैसे - जीर्ण एवं पुराने बुखार, श्वास (दमा) कास (खांसी) आदि में पीपल के चूर्ण और शहद के साथ इसका सेवन किया जाता है. क्षयरोग में मक्खन मिश्री के साथ लेना चाहिए. ह्रदय रोगों में शहद के साथ लेकर अर्जुन की छाल का काढ़ा लेना चाहिए. शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए या रसायन के रूप में इसे गाय के दूध के साथ लेना चाहिए.
सुवर्ण मालिनी वसंत के लाभ एवं उपयोग (benefits and uses of suvarn malini vasant ) - सब प्रकार की कमज़ोरी, धातुगत निर्बलता , रस क्षय के कारण शरीर का कमज़ोर व् दुर्बल होना. दिमागी कमजोरी व् थकावट , मंदाग्नि, बुखार या पुराने बुखार के कारण आयी कमजोरी, यकृत विकार, प्लीहा वृद्धि , स्त्रियों में प्रदर रोग, मासिक धर्म की अनियमितता या गर्भ स्थिति के कारण आयी कमजोरी, वृद्धावस्था, अधिक श्रम या किसी रोग के बाद आयी कमजोरी को दूर करने के लिए सुवर्ण मालिनी वसंत श्रेष्ठ बल्य औषधि है. यह अन्य बलकारी औषधियों के समान अस्थाई यानि थोड़े समय के लिए शरीर को ताकत देने वाली औषधि नहीं है बल्कि स्थाई रूप से लम्बे समय तक शरीर को शक्तिशाली बनाये रखने वाली औषधि है. रस से लेकर शुक्र धातु तक, सब धातुओं का पोषण करने वाली होने से शरीर को पुष्ट , सुडौल और बलशाली बनाने के साथ ही साथ धातुगत निर्बलता को प्राकृतिक ढंग से दूर करती है.