सफ़ेद मूसली एक सर्वसुलभ कंद है जो सस्ती सुलभ होते हुए भी अपने श्रेष्ठ गुणों के कारण बहुत प्रशंसित और उपयोगी जड़ है. आयुर्वेद ने इसकी बहुत प्रशंसा की है और इसे शुक्रल ( शुक्र बनाने वाली ) , वृष्य ( वाजीकरण aphrodisiacs ) , वीर्य- स्तम्भक ( शीघ्र-पतन रोग नष्ट करने वाली ) , स्नायविक संस्थान को बल देने वाली (nerve -tonic ) , स्नेहन तथा रसायन आदि गुणवाचक विश्लेषणों से सम्बोथित किया है.
संस्कृत - मुश्ली
हिंदी - मूसली सफ़ेद
मराठी - सफ़ेद मूसली
गुजराती - धौली मूसली
बांग्ला - तालमुली
तेलुगु - मिलायतअली, सल्लो गड्ढा
तमिल - तन्निर विटंग
कन्नड़ - नीलताडी
इंग्लिश - hypoxis orchiodes
सफ़ेद मूसली के गुण (qualities and characteristics of safed musli ) - मूसली मधुर , वीर्यवर्धक, शीतवीर्य, पौष्टिक, भारी कड़वी रसायन रूप तथा बवासीर एवं वात पित्त रोग नाशक है. यह स्निग्ध, वीर्य का स्तम्भन करने वाली, स्नायविक संस्थान को बल देने वाली और शरीर के दुबलेपन को दूर करने वाली है.
सफ़ेद मूसली का परिचय (introduction of safed musli ) - सफ़ेद मूसली सफ़ेद और काली दो प्रकार की होती है. काली मूसली (curculigo orchioides ) उष्णवीर्य होती है जिसे संस्कृत में तालपत्री, हिंदी और मराठी में काली मूसली, गुजराती में सीसमूलिया, बंगाली में ताल्लुर और कन्नड़ में नेल तातिगड्डे नाम से पुकारते हैं. आयुर्वेद के अनुसार सफ़ेद मूसली मधुर, शीतवीर्य, बलवीर्यवर्द्धक, शुक्राल , पौष्टिक, भारी, स्निग्ध, कफकारक तथा पित्त , जलन एवं थकावट मिटाने वाली होती है. भावप्रकाश निघण्टु के अनुसार काली मूसली उष्णवीर्य होती है. आयुर्वेद के अनुसार काली और सफ़ेद मूसली में भेद होते हुए भी इनके गुण मोठे रूप में एक जैसे ही होते हैं इसलिए दोनों का ही उपयोग किया जाता है. ज्यादातर सफ़ेद मूसली का ही प्रयोग किया जाता है.
सफ़ेद मूसली का उपयोग (uses of safed musli ) - सफ़ेद मूसली का उपयोग पौष्टिक नुस्खों और पाक बनाने में विशेष रूप से किया जाता है. सिर्फ एक अकेली सफ़ेद मूसली के चूर्ण का भी उपयोग किया जाता है. आयुर्वेद में वीर्यवर्धक, कामोद्दीपक, पौष्टिक एवं यौनशक्तिप्रद जितनी औषधियां बताई गयी हैं उनमे सफ़ेद मूसली एक प्रमुख औषधि है. हम इस आर्टिकल में सफ़ेद मूसली के कुछ घरेलु प्रयोग प्रस्तुत कर रहे हैं.
शारीरिक कमजोरी, दुबलापन और थकावट के अलावा यौनशक्ति की कमी, धातुक्षीणता , शीघ्रपतन, शिथिलता आदि व्याधियां दूर करने के लिए सफ़ेद मूसली का कपड़छान चूर्ण ५ ग्राम और ५ ग्राम पीसी मिश्री - कुल वज़न १० ग्राम मात्रा में - सुबह खाली पेट और शाम को भोजन के २ घंटे बाद यानी सोने से पहले कुनकुने गर्म दूध के साथ ४० दिन से लेकर ६० दिन तक नियमित सेवन करने से सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं. यदि न हो तो लाभ न होने तक सेवन जारी रखना चाहिए. यह सफ़ेद मूसली का सबसे सरल, सस्ता और कारगर प्रयोग है.
बहुमूत्र - बार बार पेशाब आने को मूत्रातिसार कहते हैं. काली मूसली का महीन चूर्ण ५ ग्राम और जायफल का चूर्ण २ ग्राम मिला कर पानी के साथ फांकने से बहुमूत्र यानी बार-बार पेशाब आना बंद हो जाता है.
शीघ्रपतन में सफ़ेद मूसली का प्रयोग (use of safed musli in the treatment of premature ejaculation ) - इस रोग के रोगी को काली मूसली का महीन चूर्ण ५ ग्राम और बंग भस्म चार रत्ती को थोड़े शहद में मिलकर ४० दिन तक सुबह शाम चाट कर सेवन करना चाहिए. इससे शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है.
पेट दर्द - दालचीनी और काली मूसली - समान भाग में पिसा चूर्ण मिला कर ५ ग्राम चूर्ण पानी के साथ फांकने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है.
दमा - काली मूसली के टुकड़े पान में रख कर खाने और रस चूसने से दमा के रोगी को आराम मिलता है.
पौष्टिक प्रयोग - सफ़ेद मूसली से बना दुबले-पतले लड़के-लड़कियों के लिए एक श्रेष्ठ नुस्खा प्रस्तुत है - सफ़ेद मूसली, असगंध, शतावरी और मुलहठी - चारों को अलग-अलग कूट पीस कर महीन चूर्ण कर बराबर-बराबर वज़न में मिला लें. कुल वज़न जितना हो उससे आधे वज़न बराबर पीसी मिश्री मिलाकर रख लें. यह मिश्रण १-१ चम्मच सुबह शाम दूध के साथ ४० दिन तक सेवन करें. अधिक दिन भी कर सकते हैं. इस प्रयोग से शरीर पुष्ट, सुडौल और शक्तिशाली होता है , पिचका हुआ चेहरा भर जाता है. यह बहुत सरल, सस्ता और गुणकारी प्रयोग है.