गत कई वर्षों से , आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित अत्यंत गुणकारी और लाभप्रद योगों को हम biovatica .com के माध्यम से आप जनता तक पहुंचा रहे हैं. इसी क्रम में शोथ (सूजन) , व्रण (घाव) और शूल (दर्द) का शमन करने वाले एक श्रेष्ठ योग "दशांग लेप" (dashang Lep ) से आपका परिचय करा रहे हैं.
दशांग लेप के घटक (ingredients of dashang Lep ) - जटामांसी, सिरस की छाल, मुलहठी, तगर, लाल चन्दन, इलायची, हल्दी, दारुहल्दी, कूठ, खस. सभी समान मात्रा में.
दशांग लेप निर्माण विधि (preparation method of dashang Lep ) - सब द्रव्यों को कूट पीस कर महीन चूर्ण करके मिला लें और तीन बार छान लें ताकि सब द्रव्य मिलकर एक जान हो जाएँ. लेप के लिए चूर्ण तैयार है.
दशांग लेप मात्रा और सेवन विधि (dashang Lep quantity and dosage ) - एक चम्मच चूर्ण पानी में घोंट पीस कर गाढ़ा लेप बनायें. इसमें ५-६ बून्द शुद्ध घी टपका कर अच्छी तरह फेंट कर मिला लें. इस लेप को गाढ़ा-गाढ़ा लगाकर ऊपर से साफ़ रुई रख कर पट्टी बाँध दें. यह लेप सुबह शाम लगाएं.
दशांग लेप के लाभ (uses and benefits of dashang Lep )- यह लेप सूजन, घाव, दर्द, विष दोष, पुराण घाव, शरीर में कहीं भी सूजन हो, दाह, जलन, सिर दर्द, तेज़ खुजली , एक्ज़िमा, पित्त जन्य व् रक्त जन्य शोथ पर बहुत ही गुणकारी सिद्ध होता है. दशांग चूर्ण में समान मात्रा में सोना गेरू मिलाकर गुलाब जल के साथ पीस कर लेप बना कर लेप करने से ४-५ दिन में ये व्याधियां दूर हो जाती हैं. वृषण (अंडकोष) पर सूजन आने पर, दशांग चूर्ण, निर्गुन्डी के पत्तों के साथ पीसकर , लेप तैयार कर, लेप करने से सूजन दूर हो जाती है. बुखार के साथ सिर दर्द हो तो एक चम्मच दशांग चूर्ण ठन्डे पानी में घोल लें. इसमें कपडे की पट्टी भिगो कर माथे पर रखने से सिरदर्द दूर होता है और ज्वर का वेग कम होता है. दशांग लेप इसी नाम से बना बनाया बाजार में मिलता है.