अम्बर कस्तूर्यादि वटी के घटक द्रव्य (ingredients of Ambar kasturyadi vati ) - अम्बर, बंग भस्म, लौह भस्म १०० पुती, अभ्रक भस्म, सहस्त्र पुटी, जायफल, छोटी इलायची के दाने, चौंसठ प्रहरी पीपल, लोंग, माणिक्य पिष्टी, केसर, जावित्री, अकरकरा - सब ६-६ ग्राम, स्वर्ण भस्म, पूर्णचन्द्रोदय रस, कस्तूरी, मोती पिष्टी , भीमसेनी कपूर - सब ३-३ ग्राम. शुद्ध कुचला, चंडी भस्म १०० पुटी - सब ४-४ ग्राम. स्वर्ण बंग ८ ग्राम.
अम्बर कस्तूर्यादि वटी निर्माण विधि (Ambar kasturyadi vati preparation method ) - सबसे पहले जायफल, इलायची, चौंसठ प्रहरी पीपल आदि काष्ठौषधियों को कूट पीस कर महीन कपड़छान चूर्ण करें. पूर्ण चंद्रोदय रस को खरल में डाल कर खूब बारीक घुटाई करें. जब अच्छी तरह से घुट कर महीन हो जाये तब एक-एक करके भस्म डाल कर घुटाई करते रहें. सब घुट कर अच्छी प्रकार से एक जान हो जाएँ, बारीक़ महीन हो जाएँ, इसके लिए पूरे एक दिन भर घुटाई करनी चाहिए. दूसरे दिन, काष्ठौषधियों का चूर्ण एक-एक करके डालते जाएँ और घुटाई करते रहें. केसर और अम्बर को अलग-अलग खराम में घोंट कर दोनों को मिला कर घोटें फिर इन्हे इस मिश्रण में डाल कर १-२ घंटे तक घुटाई करके सब द्रव्यों को खूब महीन और एक जान कर लें. और केवड़े का आरक छिड़कते हुए दिन भर घुटाई करे. दिन भर घटना जरुरी है. आयुर्वेद के अनुसार घुटाई करने से द्रव्यों का गुण और बल बढ़ता है इसलिए घुटाई में कमी और आलस्य करना उचित नहीं. अब एक थाली में सुवर्ण बंग का चूर्ण फैला कर डाल दें और इस मिश्रण की १-१ रत्ती की गोलियां बना कर थाली में डालते जाएँ और थाली हिलाते जाएँ ताकि स्वर्ण बंग का चूर्ण गोलियों पर लिपट जाए और गोलियां सुनहरे रंग की हो जाएँ. स्वर्ण का आवरण गोली की सुगंध और उड़न शीत तत्वों को उड़ने से रोकता है. गोलियों को सूखने के लिए छाया में रख कर ढक दें. खूब अच्छे से सूख जाएँ तब शीशी में भर कर एयर टाइट ढक्कन लगा कर रखें ताकि नमी वाली हवा लगने से गोलियां खराब न हो.
अम्बर कस्तूर्यादि वटी मात्रा और सेवन विधि (Ambar kasturyadi vati quantity and dosage ) - एक गोली, शहद या दूध के साथ या खमीरे गावजुआँ के साथ दिन में दो या तीन बार लें.
अम्बर कस्तूर्यादि वटी के लाभ (Advantages and health benefits of Ambar kasturyadi vati ) - अम्बर कस्तूर्यादि वटी में पूर्ण चंद्रोदय रस, सुवर्ण भस्म, अभ्रक भस्म एक हजार पुटी, लोह भस्म १०० पुटी, केसर, कस्तूरी, अम्बर आदि बहुत प्रभावशाली , गुणकारी और तुरंत लाभ करने वाले द्रव्यों का संयोजन किया गया है जिससे यह योग वाजीकारक योगों में अति उत्तम योग बन गया है. अम्बर कस्तूर्यादि वटी की एक विशेषता यह है की ये न विशेष उष्ण है और न ही विशेष शीतल है इसलिए यह किसी भी प्रकृति के व्यक्ति के लिए सेवन योग्य है. यह मस्तिष्क को शक्ति देता है, वात नाड़ियों और संज्ञावाहिनियों को स्फूर्ति और चेतना प्रदान करता है. यह ह्रदय प्रदेश के लिए शक्ति देने वाला है इसलिए दिल और दिमाग दोनों के लिए उपयोगी और लाभप्रद है. किसी भी कारण से उत्पन्न हुई इन्द्रिय शिथिलता तो यह रसायन दूर कर देता है. यहाँ इन्द्रिय का तात्पर्य सिर्फ भोगेन्द्रिय यानी यानांग से नहीं है बल्कि ज्ञान ग्रहण करने वाली ज्ञानेन्द्रिय से है. जब मन शिथिल होता है तो तन भी शिथिल हो जाता है. इन्द्रियाँ भी शिथिल हो जाती हैं. ऐसी स्थिति में आदमी को लगता है की वह पूरा का पूरा शिथिल, लाचार और बेकार हो गया है. अम्बर कस्तूर्यादि वटी इन सब विकारों को दूर करती है. इस वटी के सेवन से ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की निर्बलता और शिथिलता दूर होती है. मन में उत्साह व् उमंग का भाव पैदा होता है. इस वटी के साथ १-१ गोली विगोजेम की भी ली जाये तो विशेष और शीघ्र लाभ होता है. अम्बर कस्तूर्यादि वटी इसी नाम से बनी बनाई आयुर्वेदिक दवा दुकानों