अभ्रक भस्म का परिचय, गुण, कर्म, प्रभाव आदि के विषय में सार्वजनिक हित एवं उपयोग की दृष्टि से , सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्रस्तुत की जा रही है.
अभ्रक भस्म आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण तथा कई प्रकार से उपयोगी सिद्ध होने वाली भस्म है. बाज़ार में सादी अभ्रक भस्म और ५० पुटी, १०० पुटी और १००० पुटी रूप में मिलती है. अभ्रक भस्म जितने अधिक पुट वाली होगी उतनी ही ज्यादा शक्ति व् गुणवत्ता वाली होगी.
अभ्रक भस्म सेवन विधि और मात्रा (Abhrak Bhasma quantity and dosage ) - इसको सेवन करने की मात्रा और विधि २-२ रत्ती सुबह शाम शहद में मिला कर लेने की है.
अभ्रक भस्म के गुण, उपयोग व् लाभ ( Advantages and health benefits of Abhrak Bhasma ) - अभ्रक भस्म अनेक रोगों को नष्ट करने का गुण रखती है, देह को सुदृढ़ करती है और बलवीर्य की वृद्धि कर यौन शक्ति प्रदान करती है. इसका उपयोग कफ क्षय, बढ़ी हुई खांसी, दमा, धातुक्षीणता, मधुमेह, बहुमूत्र, प्रमेह, सोम रोग, शरीर का दुबलापन, प्रसूति रोग, सूखी व् काली खांसी, जीर्णज्वर, अरुचि, अग्निमांध, अम्लपित्त, पथरी एवं नेत्र रोगों के लिए की गई चिकित्सा में दी जाने वाली औषधियों में एक घटक द्रव्य के रूप में किया जाता है.
अभ्रक भस्म रसायन गुण वाली एक वाजीकारक औषधि है.