"च्यवनप्राश (chyawanprash ), च्यवनप्राश निर्माण विधि (preparation method of chywanprash ) , chywanprash ke fayde, स्वर्णभस्म युक्त च्यवनप्राश ( chyawanprash with swarna bhasma )"

"च्यवनप्राश (chyawanprash ), च्यवनप्राश निर्माण विधि (preparation method of chywanprash ) , chywanprash ke fayde, स्वर्णभस्म युक्त च्यवनप्राश ( chyawanprash with swarna bhasma )"

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च्यवनप्राश (chyawanprash )

स्वर्णभस्म युक्त च्यवनप्राश ( chyawanprash with swarna bhasma )

chyawanprash  chyawanprash

आयुर्वेद में ऐसी कथा है की अश्विनी कुमारों ने महर्षि च्यवन को एक ऐसा अद्भुत जरानाशक (वृद्धावस्था दूर करने वाला ) योग बताया था जिसका सेवन करके (चरक संहिता के अनुसार) च्यवन ऋषि जैसा वृद्ध व्यक्ति भी पुनः युवा हो गया था. च्यवन ऋषि ने ही यह योग सबको बताया था इसीलिए च्यवन ऋषि द्वारा कहा हुआ होने से इस योग का नाम च्यवनप्राश प्रसिद्द हुआ.

च्यवनप्राश को और अधिक गुणों से युक्त, प्रभावशाली और लाभप्रद बनाने के लिए एक प्रयोग प्रस्तुत है जो किसी भी आयु के स्त्री-पुरुषों के लिए बहुत लाभकारी साबित हुआ है. इस च्यवनप्राश का सम्पूर्ण विवरण यहाँ प्रस्तुत है :-
च्यवनप्राश के घटक द्रव्य (ingredients of chywanprash ) - च्यवनप्राश अवलेह २ किलो, स्वर्णभस्म २५ मिग्रा, बंगभस्म १० ग्राम, केशर २ ग्राम, श्रृंग भस्म १० ग्राम, अभ्रकभस्म षटपुटी ५ ग्राम, रससिन्दूर षड्गुण ५ ग्राम, वंशलोचन १० ग्राम, चांदी के वर्क २ ग्राम.

च्यवनप्राश निर्माण विधि (preparation method of chywanprash ) - बाज़ार से सभी द्रव्य ले आएं. केशर को खरल में अच्छी तरह घोटें फिर क्रमशः एक-एक द्रव्य खरल में डाल कर घोंटते रहें. सब द्रव्य डालने के बाद भी थोड़ी देर घोंटते रहें ताकि सब अच्छी तरह मिल कर परस्पर एक जान हो जाएँ. अब इसे च्वनप्राश अवलेह में डालकर काफी देर तक हिला चला कर अच्छी तरह मिला लें. आवश्यक समझें तो शहद मिला कर थोड़ा पतला कर लें.

च्यवनप्राश मात्रा और सेवन विधि (chywanprash quantity and dosage ) - १ या २ चम्मच मात्रा में, सुबह शाम चाट कर खाएं या दूध के साथ सेवन करें.

च्यवनप्राश के लाभ (Advantages and health benefits of chywanprash ) - यूँ तो च्यवनप्राश अवलेह अकेला ही बहुत शक्तिवर्धक, पौष्टिक, फेफड़े, ह्रदय और मस्तिष्क के लिए बलदायक और रसयुक्त आदि सातों धातुओं की वृद्धि व् पुष्टि करने वाला है फिर इतने द्रव्य और मिला देने पर तो इसकी गुणवत्ता के विषय में कहना ही क्या है. इन वाजीकारक द्रव्यों को मिलाने से इसके वाजीकारक और यौनशक्तिवर्धक गुणों में भारी वृद्धि हो जाती है. प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों के लिए च्वनप्राश आयुर्वेद का एक वरदान ही है. यौनशक्ति और क्षमता बनाये रखने के अलावा इसके सेवन से क्षय, खांसी, फेफड़ों की कमज़ोरी, श्वास कष्ट, अम्लपित्त , रक्तपित्त, स्मरण शक्ति की कमी, दिमागी थकावट व् कमजोरी, शरीर का दुबलापन, स्नायविक दौर्बल्य, ह्रदय की दुर्बलता, धातु क्षीणता , प्रमेह आदि विकार तथा स्त्रियों के गर्भाशय की दुर्बलता और दोष दूर करता है. पति-पत्नी को श्रेष्ठ स्वस्थ संतान पैदा करने योग्य बनाता है तथा ओज की वृद्धि कर बल, वर्ण, कांति तथा लावण्य युक्त बनाता है. पूरे वर्ष भर सेवन करने योग्य च्यवनप्राश अवलेह में , उपर्युक्त द्रव्य मिला कर इस स्वर्ण भस्म युक्त च्यवनप्राश (स्पेशल ) को सिर्फ शीतकाल में ही सेवन करना चाहिए. शेष ऋतुओं में सिर्फ च्यवनप्राश अवलेह सेवन करें. यह दोनों - च्यवनप्राश अवलेह और च्यवनप्राश स्वर्णभस्म युक्त - बने बनाये बाज़ार में मिलते हैं.