चना और आयुर्वेद , आयुर्वेद के अनुसार चने के फायदे और उपयोग

Chana Ayurveda, chana chickpea uses as per Ayurveda. चना और आयुर्वेद , आयुर्वेद के अनुसार चने के फायदे और उपयोग

चना और आयुर्वेद , आयुर्वेद के अनुसार चने के फायदे और उपयोग

Chana Ayurveda, chana chickpea uses as per Ayurveda. चना और आयुर्वेद , आयुर्वेद के अनुसार चने के फायदे और उपयोग

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चना (chana , Chickpea )

हॉर्स पावर बढ़ाइए, चना चबाइए

शरीर शक्तिशाली , फुर्तीला और चुस्त-दुरुस्त बना रहे, इसके लिए पथ्य आहार का सेवन और अपथ्य आहार का त्याग रखना ज़रूरी होता है. पथ्य आहार के रूप में "चना" के विषय में उपयोगी विवरण इस आर्टिकल में प्रस्तुत

किया जा रहा है.

आज सारा संसार तरह-तरह के रोगों से जकड़ा हुआ है, पीड़ित हो रहा है और दुखी हो रहा है. अधिकांश लोग गलत ढंग से गलत पदार्थों का सेवन करने की वजह से कब्ज़ के कब्जे में फंसे हुए हैं. इस कब्ज़ से छुटकारा पाने के लिया हमें ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिसमे रेशा हो, छिलका हो, तंतु हों और बीज हों क्यूंकि इनमे विटामिन और खनिज तत्व होते हैं और ये हमारी छोटी व् बड़ी आंत की सफाई करते हैं, पूरे शरीर में साफ़-सफाई करते हैं. आहार के रुओ में चने के विषय में उपयोगी जानकारी प्रस्तुत की जा रही है.

नाश्ते में चना (chana in breakfast ) - आहार लेने की शुरुआत अधिकाँश लोग प्रातः नाश्ते से यानी अल्पाहार से करते हैं. नाश्ते के लिए एक मुट्ठी काले देशी चने पानी में डाल कर रख दें. सुबह इन्हे कच्चे या उबाल कर या तवे पर थोड़ा सा भून कर मसाला मिला कर खूब चबा चबा कर खाएं. चने के साथ किशमिश खा सकते हैं, कोई मौसमी फल खा सकते हैं. केले खाएं तो केले को पानी से धोकर छिलका सहित गोलाकार टुकड़े काट लें और छिलका सहित चबा चबा कर खाएं. नाश्ते में अन्य कोई चीज़ न लें.

भोजन में चना (chana in afternoon meal ) - आहार के प्रमुख द्रव्य हैं रोटी और सब्ज़ी. रोटी के आटे में चोकर मिला हुआ हो और सब्ज़ी या दाल में चने की चुनी यानी चने का छिलका मिला हुआ हो तो ये आहार बहुत सुपाच्य और पौष्टिक हो जाता है. पेट साफ़ और हल्का रहेगा, पाचन शक्ति प्रबल बानी रहेगी, खाया पिया अंग लगेगा जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और शक्तिशाली बना रहेगा. मोटापा, कमज़ोरी, गैस, मधुमेह, ह्रदय रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग नहीं होंगे. चोकर और चने में सब प्रकार के पोषक तत्व होते हैं. चना गैस नहीं करता, शरीर में विषाक्त वायु हो तो अपां वायु के रूप में बाहर निकाल देता है.

हमारे पूर्वज कितने विद्वान् और शरीर शास्त्र के ज्ञाता थे जो उन्होंने सप्ताह में एक दिन शुक्रवार को चना खाने की परम्परा शुरू की थी ताकि मनुष्य के आहार से चना जुड़ा रहे . चने का एक उपयोग घरेलु इलाज के लिए भी किया जा सकता है. एक कहावत है की जो खाये चना, वह सदा रहे बना. चना सिर्फ पौष्टिक ही नहीं बल्कि कुछ रोगों को दूर करने की क्षमता भी रखता है. चने के आटे का उबटन शरीर पर लगा कर स्नान करने से खुजली रोग नष्ट होता है और त्वचा उजली होती है. यदि पूरा परिवार चने का नियमपूर्वक सेवन करे तो घोड़े की तरह शक्तिशाली, फुर्तीला, सुन्दर, स्वस्थ और परिश्रमी बना रह सकता है.

गेहूं, चना, जौ (wheat , chana , jau ) - यदि आप स्वस्थ, निरोग और ताकतवर बने रहना चाहते हैं तो सिर्फ गेहूं के आटे की रोटी न खाकर गेहूं, चना और जौ- तीनों सामान वज़न में जैसे तीनो २-२ किलो लेकर मिला लें और मोटा पिसवा कर, छाने बिना, छिलका चोकर सहित आटे की रोटी खाना शुरू कर दें. इसे बेजड़ या मिक्सी रोटी कहते हैं. यह मोटे आटे की मोटी खुरदुरी रोटी पेट में चिपकती नहीं, पेट को साफ़ कर देती है. जबकि महीन, चिकनी और मुलायम रोटी तो पेट में चिपकेगी, कब्ज़ करेगी और मल को अंदर रोक कर सड़ायेगी जिससे गैस बनती है, एसिडिटी होती है और अन्य कई बीमारियां पैदा होती हैं.

इस तरह हम समझ सकते हैं की हमारे आहार में चने का स्थान बहुत महत्वपूर्ण, उपयोगी और लाभप्रद सिद्ध होता है. चना सस्ता भी है और सरल सुलभ भी इसलिए हमें पथ्य यानी सेवन करने योग्य आहार के रूप में चने का, ऊपर वर्णित विवरण के अनुसार, सेवन करके स्वास्थ्य लाभ अवश्य प्राप्त करना चाहिए.