Addiction is the irresistible & uncontrollable urge and desire to take
narcotics or liquor in a quantity & frequency which is harmful to the body of the patient & hinders his day-to-day activities.
It needs much persuasion, continuous medication & regular follow up & psychological treatment (counselling) to get the patient out of it. Addiction can be for various things such as drugs, liquor, cigarette & even food too.
Treatment according to following Acupressure points can help the patient to come out of addiction.
Acupressure treatment and points for Drug addiction: Du 20, H7, LI4, SI3, P6, TW+ all points of lung, kidney & liver channel.
Acupressure treatment and points for Alcohol addiction: Du20, H7 acupressure points lying around the mouth + all points of stomach, liver channel.
Acupressure treatment and points for Smoking: Du20, H7, all points of lung and L.I. channel.
Acupressure treatment and points for Food (Bulimia): Du20, H7, Sp6, Sp7, St37,Liv 13. All points around stomach channel & all points around the ear.
Acupressure treatment and points for Betel : Du20, H7 + all points around the mouth.
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वर्तमान जीवन शैली से अधिकाँश लोग दुखी, अशांत, तनावग्रस्त, अवसादग्रस्त और निराशामय जीवन जीने को मजबूर हैं. अपने आप से भागता हुआ आदमी, क्षणिक भुलावे के लिए, ख़ुशी या ग़म के बहाने, नशा करने के लिए, किसी न किसी मादक द्रव्य का सेवन कर रहा है. यह एक दुर्व्यसन है जो समस्त विश्व में एक भयावह समस्या के रूप में मानव समाज के सामने मौजूद है जिसे सुलझाने के बजाये नशे का आदि मानव इसके जाल में उलझता ही जा रहा है जिससे मानवजाति आर्थिक, सामाजिक, नैतिक और स्वास्थ्यगत पतन की ओर बढ़ती जा रही है. तम्बाकू , बीड़ी सिगरेट , भांग और शराब जैसे मादक पदार्थ तो खुलेआम बिक ही रहे हैं , परोक्ष रूप में दबे छिपे चरस, गांजा, हेरोइन, ब्राउनशुगर आदि विषैले मादक द्रव्यों का कारोबार भी ज़ोरों से चल रहा है. मौत के सौदागर करोड़ों रुपये का व्यापार कर खुद तो धनवान हो रहे हैं लेकिन नशा करने वालों को हर दृष्टि से कंगाल और बदहाल किये दे रहे हैं. यह बड़े दुःख की बात है की दुर्व्यसन के साधन और अवसर बड़ी आसानी से सर्वत्र उपलब्ध हैं जिन्हें रोकने की कोशिश न सरकार करती है और न ही देश के प्रबुद्ध व् जागरूक नागरिक या समाजसेवी संस्थाएं कोई कोशिश करती हैं. यह भी दुर्भाग्य की ही बात है की आर्थिक, व्यावसायिक या राजनैतिक कारणों से इन मादक द्रव्यों का प्रचलन रोक नहीं जा रहा है.
जीवन के वास्तविक आनंद से वंचित मानव क्षणिक सुख की अनुभूति के लिए इन मादक द्रव्यों का दास बनकर स्वयं भी नष्ट भ्रस्ट हो रहा है और समाज को भी भ्रस्ट कर रहा है. नशे की ग़ुलामी करना कायरता ही नहीं बल्कि धीमी गति से अपनी हत्या करने वाला जघन्य अपराध है. इसे आयुर्वेद ने प्रज्ञापराध कहा है. परस्पर वैमनस्य, झूठ, चोरी, ठगी , हत्या, लूटपाट, राहजनी जैसे अपराधों का एक प्रमुख कारण नशे की लत पद जाना भी है.
जन- जागरूकता के अभाव में लाख कोशिशें करने के बाद भी नशामुक्ति अभियान न तो सफल हुआ है और न ही हो सकता है. यूँ तो सार्वजनिक स्थानों पर नशीले पदार्थों का सेवन करने पर प्रतिबन्ध लगाकर इसे कानूनन दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया है किन्तु जन सहयोग के अभाव में इस प्रतिबन्ध का कोई प्रभाव हो नहीं पा रहा है. समाज के भद्र और ज़िम्मेदार वर्ग के लोग ही इस कानून का उल्लंघन करते देखे जा सकते हैं. पुलिस, ट्रांसपोर्टर्स, श्रमिक, रंगकर्मी और व्यापारियों से ले कर शिक्षक, इंजीनियर , चिकित्सक , समाजसेवी , न्यायकर्मी और धर्माधिकारी तक इन कानून के विपरीत किसी न किसी मादक पदार्थ का सेवन कर ही रहे हैं.
आज की युवा पीढ़ी, जो कल को देश की नागरिक होने वाली है, देश की कर्णधार बनने वाली है, इसके ९०% युवा किसी न किसी प्रकार का नशा कर रहे हैं. ये गहन चिंता का विषय है. बुद्धि की अपरिपक्वता, कुसंगति, पश्चिमी विचारधारा से प्रभावित होना, फैशन परस्ती, फल्मों में दिखाए गए दृश्यों या हीरो का अनुसरण, तथाकथित आधुनिकता या प्रगतिशीलता को पसंद करना आदि कई कारणों से प्रभावित आज की पीढ़ी के अधिकतर युवा तन और मन से खोखले होते जा रहे हैं. चिंता की बात यह है की देश का भविष्य कैसे संवारा जा सकेगा? राष्ट्र को कैसे मज़बूत बनाया जा सकेगा?
नशा किसी भी प्रकार का हो हानिकारक ही होता है. चाहे किसी भी कारण से और किसी भी मात्रा में शुरू किया गया हो उत्तरोत्तर यह अपनी पकड़ और जकड को मज़बूत करता जाता है, नशे का ग़ुलाम हुआ व्यक्ति फड़फड़ाता रह जाता है और नशे के जाल से निकल नहीं पाता है. धीरे धीरे नशे का यह जाल सिर्फ उसी के लिए ही नहीं, पूरे परिवार के लिए जी का जंजाल बन जाता है. व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति बिगड़ जाती है, उसकी रचनात्मक शक्ति, सूझबूझ और कार्यकुशलता क्षीण हो जाती है. ऐसा व्यक्ति नशे का सिर्फ आदि ही नहीं होता बल्कि ग़ुलाम हो जाता है की यदि समय पर मादक द्रव्य न मिले , मिले भी तो पर्याप्त मात्रा में न मिले तो उसे अत्यधिक मानसिक और शारीरिक पीड़ा होती है, छटपटाहट होती है और इस पीड़ा से व्याकुल होकर वह विवेकहीन हो सामान्य व्यवहार ही भूल जाता है. इस पीड़ा से मुक्त होने के लिए मादक द्रव्य प्राप्त करना ज़रूरी होता है और मादक द्रव्य प्राप्त करने के लिए ऐसा व्यक्ति ऊंच नीच भूल कर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. इस तरह वह अनैतिक आचरण करने वाला अपराधी तो हो ही जाता है साथ ही अनिद्रा, अवसाद, मनोविकार, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग आदि रोगों से ग्रस्त भी हो जाता है. शराब पिने वाले का लिवर, धूम्रपान करने वाले के फेफड़े और भांग पिने वाले का पाचन-संस्थान - ये अंग कालान्तर में रोगग्रस्त हो ही जाते हैं.
अब कोई नशा करने वाला इन सब उपद्रवों से दुखी होकर यदि नशा छोड़ना भी चाहे तो सुदृढ़ मनोबल का अभाव होने से वह छोड़ नहीं पाता. ऐसे व्यक्ति को निराशा छोड़ कर मनोबल को मज़बूत करना चाहिए और सुदृढ़ इच्छाशक्ति से मादक द्रव्य का सेवन करना एकदम बिलकुल बंद कर देना चाहिए. मनुष्य के लिए ऐसा करना असंभव नहीं है. थोड़े दिन कठिनाई, असुविधा तथा मानसिक पीड़ा होती है फिर धीरे धीरे पुरानी आदत छूटने लगती है और नै आदत यानी मादक द्रव्य का बहिष्कार करने की आदत मज़बूत होने लगती है और एक दिन वह भी आ ही जाता है जब उसे मादक द्रव्य की याद आती भी है तो नफरत के साथ आती है चाहत के साथ नहीं.
ऐसे नशे सी पीड़ित व्यक्ति को कुसंगति और एकांत में रहना छोड़ देना चाहिए. सत्संग, अच्छे साहित्य का अध्ययन, अपने विचारों पर नियंत्रण, सात्विक सादा आहार, उचित विहार, स्वाध्याय और सकारात्मक सोच रखना और नकारात्मक सोच कभी न करना इतने उपाय करने से थोड़े दिन में कोई भी नशा त्याग देना संभव हो जाता है. ऐसे अनेक प्रमाण biovatica .कॉम ने देखे हैं. एक श्रेष्ठ प्रभावशाली तथा निश्चित रूप से सफल सिद्ध होने वाला उपाय हम भी बता रहे हैं जो नशा छोड़ने में पूरी तरह सहायता करता है. यह उपाय है राजयोग.
राजयोग नशे से मुक्ति पाने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है. राजयोग से मनोबल की वृद्धि होती है और इस उपाय से व्यक्ति अपनी मनबुद्धि को सर्वशक्तियों के स्वामी परमपिता परमात्मा के साथ जोड़ने में सफल हो जाता है जिससे उसमे आत्मबल, मनोबल और शुद्ध सात्विक शक्तियों का संचार होता है और वह हानिकारक आदतों से मुक्त हो जाता है. परमात्मा के साथ सम्बन्ध जुड़ने पर आत्मा को, रूहानी यानी आत्मिक नशे का अनुभव होता है, आत्मा परमानंद का अनुभव करती है जो अनुपम अनुभव होता है जिसके आगे संसार के सारे नशे दो कौड़ी के लगते हैं. सारे दुखों से मुक्ति पाने में ये भौतिक व् जिस्मानी नशे काम नहीं आते बल्कि ये उलटे बंधनों में फंसा देते हैं. दुखों से मुक्ति मिलती है रूहानी नशे से, यह वह नशा है जो कभी उतरता ही नहीं, हानि नहीं कल्याण करता है जिससे सारे बंधन काट जाते हैं, दुःख स्वतः दूर हो जाते हैं और सारे कुटिल संस्कार समाप्त हो जाते हैं. मादक द्रव्यों से जो नशा होता है वह कालान्तर में दरअसल नाश सिद्ध होता है. लेकिन परमपिता परमात्मा से मिलने वाले परमानन्द का नशा, हमारी दुर्दशा दूर कर दशा सुधार देता है. राजयोग के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप , आपके शहर में स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजयोग केंद्र पर संपर्क कर सकते हैं.