यूँ कहने सुनने में खांसी एक मामूली व्याधि लगती है पर जिसे खांसी चलती है वही इसके कष्ट को जानता है. बड़ी पुरानी कहावत है - ' रोग का घर खांसी और लड़ाई का घर हांसी.' खांसते-खांसते पेट, छाती, पीठ, और पसलियों में दर्द होने लगता है फिर भी रोगी खांसने को मजबूर रहता है. ऐलादी वटी खांसी के लिए एक बहुत ही सरल और गुणकारी घरेलु आयुर्वेदिक नुस्खा है.
Eladi Vati is a very simple and effective ayurveda home remedy for coughing .
ऐलादी वटी के घटक द्रव्य (ingredients of eladi vati ) - छोटी इलायची, तेजपान, दालचीनी - तीनों ५-५ ग्राम, पीपल २० ग्राम, मिश्री, मुलहठी, पिंडखजूर और मुनक्का - चरों ४०-४० ग्राम.
ऐलादी वटी निर्माण विधि (eladi vati preparation method ) - पहले पिंडखजूर की गुठली और मुनक्का के बीज निकाल कर फेंक दें और दोनों को खूब महीन पीस लें. बाकी सभी द्रव्यों को कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें. अब सब को खूब अच्छी तरह मिला लें और आवश्यक मात्रा में शहद मिलाकर छोटे बेर बराबर गोलियां बना लें.
ऐलादी वटी मात्रा और सेवन विधि (eladi vati quantity and dosage ) - दिनभर में ५-६ बार १-१ गोली मुंह में रखकर चूसना चाहिए. चाहें तो २-२ गोली सुबह-शाम दूध के साथ या शहद में मिलाकर ले सकते हैं. जब तक खांसी ठीक न हो तब तक सेवन करना चाहिए.
ऐलादी वटी के लाभ (advantages and benefits of eladi vati ) - ऐलादी वटी का नुस्खा सूखी खांसी के लिए विशेष रूप से गुणकारी है जिसमे कफ सूखा हुआ होने से बहुत खांसने पर ही निकलता है और रोगी को कफ न निकालने तक खाँसना पड़ता है. इस गोली के सेवन से छाती व् गले में चिपका हुआ कफ ढीला हो जाता है और आसानी से निकाल जाता है. ऐलादी वटी गले की खराश, पित्त व् कफ प्रकोप और मुंह एवं गले की खुश्की को भी दूर करती है और तरावट देती है. ऐलादी वटी को खाने की अपेक्षा चूस कर प्रयोग करने से विशेष प्रभाव होता है. छोटे बच्चों को दूध में घिस कर चटा सकते हैं. ऐलादी वटी इसी नाम से बनी-बनाई आयुर्वेदिक दवा दुकानों पर उपलब्ध होती है.