Biovatica.Com : शुक्राणु और वीर्य

sperm and semen information as per Ayurveda in Hindi

Biovatica.Com : शुक्राणु और वीर्य

sperm and semen information as per Ayurveda in Hindi

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शुक्राणु और वीर्य (sperm and semen information as per Ayurveda in Hindi )

आयुर्वेद के अनुसार रस , रक्त , मांस , मेद , हड्डी , मज्जा और शुक्र - ये सातों स्वयं स्थित होकर शरीर को धारण करते हैं अर्थात स्थिर रखते हैं . अतः ये धातु कहलाते हैं . आयुर्वेद के अनुसार हमारे आहार का सार और सर्वश्रेष्ठ रूप " शुक्र धातु " है और और शुक्र के बारे में आयुर्वेद के चरक संहिता में कहा गया है की आहार का उत्तम सारांश शुक्र ( वीर्य ) है अतः इसकी रक्षा करनी चाहिए यानी इसको व्यर्थ खर्च नहीं करना चाहिए .

आयुर्वेद कहता है की शुक्रधातु शरीर की सातवीं और परमश्रेष्ठ धातु है . शुक्राणु तथा शुक्राशय ग्रंथि , पौरुष ग्रंथि तथा मूत्रप्रसेकिय ग्रंथियों से होने वाले स्त्राव के मिश्रण " शुक्र " है . इस मिश्रण की प्रक्रिया का वर्णन आयुर्वेद ने विस्तार से इस प्रकार दिया है :- शुक्राल द्रव (seminal fluid ) का लगभग ३० % भाग पौरुष ग्रंथि (prostate gland ) से निकलने वाले स्वच्छ स्त्राव से , और ७० % भाग शुक्राशयग्रंथि (seminal vesicles) से , निकलने वाला होता है जो मिल कर शुक्रलद्रव बनता है . यही द्रव " स्खलन " (Ejaculation ) के समय शिश्न से बाहर निकलता है . ये दोनों ग्रंथियां , मूत्राशय (bladder ) के नीचे वाले अंग के ठीक पीछे स्थित होती है जो " शुक्रवाहिनी नलिका "(Vas Deferens ) से जुड़ कर " शुक्र स्खलन नलिका "(Ejaculary ducts ) का निर्माण करती है . बाद में नलिकाएं मूत्रमार्ग (Urethra ) से जुड़ कर नलिका का सिलसिला निरंतर जारी रखते हुए शिश्न (Penis ) के अग्रभाग पर जाकर समाप्त होती है .

आयुर्वेद ने शुक्र , शुक्राणु और वीर्य की व्याख्या करते हुए कहा है की शुक्र धातु शरीर में व्याप्त रहती है , ऐसा नहीं की किसी जगह तैयार राखी रहती हो . शुक्र को " वीर्य " भी कहते हैं . वीर्य का अर्थ होता है ऊर्जा और शुक्र ऊर्जावान , मलरहित सर्वशुद्ध धातु होती है इसलिए इसे " वीर्य " नाम दिया गया है . वीर्य में नया शरीर पैदा करने की शक्ति होती है इसलिए भी इस धातु को " वीर्य " कहा गया है . शुद्ध और दोषरहित वीर्य गाढ़ा , चिकना , सफ़ेद , मलाई जैसा , मधुर , जलन रहित व् स्वच्छ होता है . पतला , मैला , पीला , पतले दूध जैसा , बदबूदार , झागदार , और पानी की तरह टपकने वाला वीर्य दूषित , कमज़ोर और विकार युक्त होता है .

आयुर्वेद के अनुसार वीर्य दूषित कैसे होता है ? (How does sperm become unhealthy according to ayurveda? )

 

अधिक मैथुन करने , सदैव कामुक विचार करते रहने , शक्ति से अधिक शर्म या व्यायाम करने , पोषक आहार का सेवन न करने , मादक पदार्थों का सेवन करने , अप्राकृतिक तरीकों से वीर्यपात करने , पोर्न व् अश्लील वेबसाइटों को देखते रहने , प्रकृति विरुद्ध पदार्थों का सेवन करने , रोग ग्रस्त व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध करने , तेज़ मिर्च मसालेदार और खटाईयुक्त पदार्थों का अति सेवन करने , मधुर , स्निग्ध और धातुपौष्टिक पदार्थों का सेवन न करने , नमकीन , तीखे व् चटपटे पदार्थों का अति सेवन करने , चिंता , शोक , भय और मानसिक तनाव से हमेशा ग्रस्त रहने , किसी गुप्त संक्रामक रोग के हो जाने से , क्षय रोग होने , वृद्धावस्था के प्रभाव से और शरीर और स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाले पदार्थों का सेवन करते रहने से वीर्य दूषित हो जाता है .

आयुर्वेद के अनुसार वीर्य शुद्ध कैसे रहता है ? (how does sperm become pure according to Ayurveda?)

 

वीर्य को दूषित करने वाले ऊपर लिखे सभी कारणों से बचे रहने और इनके विपरीत आहार - विहार व् आचरण करने से शरीर की सभी धातुएं शुद्ध बानी रहती हैं और जब सभी धातुएं शुद्ध व् पुष्ट बानी रहेंगी तो वीर्य भी शुद्ध व् पुष्ट बना रहेगा . वीर्य शुद्ध व् पुष्ट अवस्था में रहेगा तो न तो कभी सोते हुए स्वप्नदोष होगा न ही जागते हुए शीघ्रपतन होगा .

 

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