Narayan Churna uses in hindi, नारायण चूर्ण के फायदे और बनाने की विधि

नारायण चूर्ण के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

Narayan Churna uses in hindi, नारायण चूर्ण के फायदे और बनाने की विधि

नारायण चूर्ण के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

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नारायण चूर्ण (Narayan Churna)
narayan churna

आयुर्वेद की मान्यता के अनुसार शरीर के अधिकांश रोगों की जड़ में मंदाग्नि यानी पाचक अग्नि का कमजोर होना होता है. यदि अग्निमांद्य यानी मंदाग्नि की अवस्था निर्मित हो जाये तो उसका प्रतिकार करने और सभी पेट सम्बन्धी रोगों से बचाव करने में नारायण चूर्ण बहुत सहायक सिद्ध होता है. इस आर्टिकल में नारायण चूर्ण की सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है.

नारायण चूर्ण के घटक द्रव्य (ingredients of Narayan Churna ) :-

अजवाइन, हाऊबेर, धनिया, हरड़, बहेड़ा, आंवला, कलौंजी, सोयाबीन, कालाजीरा, पीपलामूल, अजमोद, कचूर, वच , सफ़ेद जीरा, सौंठ, काली मिर्च, सत्यानासी की जड़ , पीपल, चित्रकमूल, जवाखार, सज्जीक्षार, पुष्करमूल, कूठ, सेंधा नमक, कालानमक, साम्भर नमक, समुद्र नमक, बिड नमक, और वाय बिडंग - सभी 10 -10 ग्राम और निशोथ व् इन्द्रायण की जड़ - 20 -20 ग्राम ; दंतिमूल ३० ग्राम और थूअर काण्ड ( सेहुंड - कांटेवाला भाग - 40 ग्राम )

नारायण चूर्ण बनाने की विधि (preparation method of Narayan Churna):-

इन सभी द्रव्यों को कूट पीस कर छान कर बारीक चूर्ण कर लें . यह पेट रोग नाशक अद्भुत चूर्ण - नारायण चूर्ण तैयार हो गया .

नारायण चूर्ण मात्रा और सेवन विधि (Narayan Churna quantity and dosage)

नारायण चूर्ण की 1 से 2 ग्राम मात्रा रोग के अनुसार विभिन्न अनुपान के साथ प्रातःकाल सेवन करना चाहिए . रोग के अनुसार नारायण चूर्ण के अनुपान में वैद्यों द्वारा भिन्नता राखी जाती है . जैसे - पेट रोग में छाछ ( मठ्ठा ) के साथ , गुल्म में बेर के क्वाथ से , कब्ज़ में दही के साथ , बवासीर में अनार के रस के साथ , वात रोग में महारास्नादि क्वाथ के साथ तथा अजीर्ण में गरम पानी के साथ नारायण चूर्ण का सेवन किया जाता है .

नारायण चूर्ण के फायदे , उपयोग व् स्वास्थ्य लाभ (Narayan Churna benefits for stomach health problems)

नारायण चूर्ण का उपयोग उदर सम्बन्धी यानी पेट सम्बन्धी रोगों में किया जाता है जैसे कब्ज़ रहने , अपान वायु न निकलना और पेट में वायु भर जाना , पेट में दूषित मल इकठ्ठा हो जाना , भूख नहीं लगना आदि में यह औषधि रेचक , मलशोधक तथा दीपक - पाचक होने से विशेष गुणकारी है . इसके घटक द्रव्यों खासकर इन्द्रायण , थूअर और दंतिमूल के कारण यह रोग जीर्ण पेट रोगों , लिवर व् तिल्ली का बढ़ जाना , पुराना कब्ज़ , जलोदर व् आँतों में सूजन आना आदि बिमारियों को विरेचन ( दस्त ) और मूत्र के माध्यम से दूर करता है . नारायण चूर्ण आयुर्वेद का परीक्षित सफल योग है . नारायण चूर्ण इसी नाम से बना बनाया बाज़ार में मिलता है .

 

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