Lavan Bhaskar Churna uses in hindi,लवण भास्कर चूर्ण के फायदे और बनाने की विधि लिस्ट

लवण भास्कर चूर्ण के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

Lavan Bhaskar Churna uses in hindi,लवण भास्कर चूर्ण के फायदे और बनाने की विधि

लवण भास्कर चूर्ण के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

img

 

लवण भास्कर चूर्ण (Lavan Bhaskar Churna)
लवण भास्कर चूर्ण (Lavan Bhaskar Churna)

पेट के कई विकारों को दूर करना वाला एक अत्यंत गुणकारी तथा पेट का मित्र आयुर्वेदिक योग है - लवण भास्कर चूर्ण . इस आर्टिकल में इसका सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत है :-

 

लवण भास्कर चूर्ण के घटक द्रव्य (Ingredients of Lavan bhaskar Churna ) :-

सेंधा नमक , काला नमक , धनिया , पीपल , पिपला मूल , स्याह जीरा , तेजपात , नागकेशर , तालीस पत्र और अम्ल वेत - सब द्रव्य 20 -20 ग्राम . समुद्र नमक 80 ग्राम , संचर नमक 50 ग्राम . कालीमिर्च , जीरा और सौंठ - 10 -10 ग्राम . अनारदाना 50 ग्राम , दालचीनी व् बड़ी इलायची 5 -5 ग्राम .

लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि (preparation method of Lavang Bhaskar Churna ) :-

 

लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि बहुत सरल है . सभी द्रव्यों को अलग अलग कूट पीस कर खूब बारीक़ महीन चूर्ण कर लें . सभी द्रव्यों को अच्छी तरह मिला कर तार की छन्नी से तीन बार छान कर निम्बू के रस में गीला करके सुखा लें . इसे निम्बू की भावना देना कहते हैं . भावना देने से चूर्ण रुचिकर और स्वादिष्ट हो जाता है वैसे निम्बू की भावना देना अनिवार्य नहीं है .

लवण भास्कर चूर्ण के फायदे , उपयोग , मात्रा और सेवन विधि (Lavan bhaskar Churna uses, quantity, dosage and benefits in various diseases in hindi are listed below) :-

लवण भास्कर चूर्ण का उपयोग पेट की बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता है . विभिन्न रोगों में इसके घरेलु इलाज में उपयोगी कुछ अनुभूत व् गुणकारी प्रयोग निम्नलिखित हैं ;-

अग्निमांध में लवण भास्कर चूर्ण का उपयोग - पाचक अग्नि मंद हो जाने से खाया पिया ठीक से और जल्दी हजम नहीं होता इसे अग्निमांध कहते हैं . इसके इलाज के लिए लवण भास्कर चूर्ण आधा चम्मच , सिद्ध कुचिला चूर्ण एक रत्ती मिलाकर सुबह शाम पानी के साथ सेवन करना चाहिए .

अपच से दस्त - पेट में गर्मी बढ़ने , अपच होने और पित्त कुपित होने से पतले दस्त होने लगते हैं . ताज़े जमे हुए दही में पानी मिलाकर फेंट लगाकर पतला कर लें . इसमें आधा चम्मच लवण भास्कर चूर्ण घोल लें . सुबह के भोजन के साथ इसे घूँट - घूँट करके पियें और भोजन के अंत तक इसे भी ख़तम करें . 4 -5 दिन में ही मल - विसर्जन बंध कर होने लगता है .

अफारा - अपच के कारण पेट फूलने को अफारा कहते हैं . इस स्थिति को दूर करने के लिए लवण भास्कर चूर्ण का सेवन दिन में तीन बार करना चाहिए .

पेट का भारीपन - पेट के भारीपन और लगातार डकार आने की स्थिति में आधा चम्मच लवण भास्कर चूर्ण कुनकुने गर्म पानी के साथ लेना चाहिए .

बवासीर - भोजन के साथ एक गिलास ताज़ी छांछ में आधा चम्मच लवण भास्कर चूर्ण घोल कर एक एक घूँट करके पीते रहना चाहिए . शाम को लवण भास्कर चूर्ण का सेवन गर्म पानी या घी के साथ करना चाहिए , छांछ के साथ नहीं .

 

Disease and Ayurveda Home Remedies List