हेमोल माल्ट आयुर्वेद का एक अवलेह है जो बारह महीने सेवन किया जा सकता है। Biovatica द्वारा इस आर्टिकल में इस बलवर्धक - रक्तवर्धक अवलेह का सम्पूर्ण विवरण दिया जा रहा है।
आंवाल 700 ग्राम , द्राक्षा ( मुनक्का ) 500 ग्राम , असगंध 100 ग्राम , कौंचबीज , शतावरी , विधारा - सभी 50 -50 ग्राम , दालचीनी , पीपल , इलायची - सभी 25 -25 ग्राम , अभ्रक भस्म , लौह भस्म , बंग भस्म , प्रवाल पिष्टी , स्वर्ण माक्षिक भस्म , शिलाजीत - सभी 10 -10 ग्राम , शहद 500 ग्राम और मिश्री आवश्यकतानुसार।
ऊपर दिए गए सभी काष्ठादि द्रव्यों को जौकुट कर उबाल कर छान लें तथा पुनः गाढ़ा होने तक उबालें । अब इसे मिश्री से बनी चाशनी में पकाएं। जब अवलेह बन जाये तो उसे उतार कर ठंडा करें तथा शिलाजीत व् शहद मिलाकर शीशियों में भर लें।
हेमोल माल्ट प्रतिदिन सुबह शाम एक से दो चम्मच दूध के साथ लिया जाता है।
हेमोल माल्ट अवलेह के नियमित सेवन से शारीरिक व् मानसिक दुर्बलता दूर होकर आयु , बल , कांति तथा स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है . हेमोल माल्ट के नियमित सेवन से खांसी , दमा , क्षय , कब्ज़ आदि रोग दूर होते हैं तथा शरीर में स्थायी ताकत पैदा होती है . जिन्हे कम हीमोग्लोबिन की शिकायत रहती है उनके लिए हेमोल माल्ट उत्तम टॉनिक है . सभी नाज़ुक प्रकृति वाले स्त्री - पुरुष व् बच्चों के लिए श्रेष्ठ टॉनिक होने के साथ साथ प्रसूता तथा रक्ताल्पता से पीड़ित स्त्रियों के लिए हेमोल माल्ट विशेष लाभकारी है . हेमोल माल्ट एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक वाजीकारक औषधि भी है .