Brahmi Vati uses in hindi, ब्राह्मी वटी के फायदे और बनाने की विधि

ब्राह्मी वटी के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

Brahmi Vati uses in hindi, ब्राह्मी वटी के फायदे और बनाने की विधि

ब्राह्मी वटी के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

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ब्राह्मी वटी (Brahmi Vati)

' वृहत ब्राह्मी वटी ' ( स्वर्ण युक्त ) एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो मानसिक रोगों के अलावा अन्य रोगों में भी बहुत लाभ करती है . Biovatica के इस आर्टिकल में ब्राह्मी वटी ( वृहत ब्राह्मी वटी ) का सम्पूर्ण विवरण दिया जा रहा है .

Brahmi vati

 

ब्राह्मी वटी के घटक द्रव्य (ingredients of Brahmi Vati in Hindi):-

अभ्रक भस्म , संगयशव पिष्टी , सोने का वर्क , अकीक पिष्टी , माणिक्य पिष्टी , प्रवाल पिष्टी , कहरवा पिष्टी , मोती पिष्टी और चंद्रोदय - सभी 9 औषधियों की 6 -6 ग्राम मात्रा लें . जायफल , जावित्री , बंशलोचन , लौंग , कूठ , काला जीरा , पीपल , पीपलामूल , दालचीनी , तेज पान , हरी इलायची के बीज , नागकेशर , अनिसून , सौंफ , धनिया , अकरकरा , असगंध , चित्रकमूल की छाल , कुलिंजन , रूमीमस्तंगी , शंखाहुली , सफ़ेद चंदन का चूर्ण - इन २२ औषधियों की 4-4 ग्राम मात्रा लें . कस्तूरी , अम्बर , ब्राह्मी , निशोथ , अगर और केशर - इन 6 औषधियों की 15 -15 ग्राम मात्रा लें . ब्राह्मी की ताज़ी बूटियों का स्वरस या सूखी ब्राह्मी का काढ़ा पृथक से तैयार कर लें .

 

ब्राह्मी वटी बनाने की विधि (Brahmi vati preparation method in Hindi):-

 

सर्वप्रथम चंद्रोदय , केशर , कस्तूरी और अम्बर को खरल में पीस कर बारीक़ कर लें . इसके बाद सभी पिष्टियाँ व् भस्में तथा सोने का वर्क मिलाकर खरल में घोंटें . इसके बाद इसमें सभी शेष औषधियों का बारीक़ कपड़छान चूर्ण मिलाकर इसकी ब्राह्मी के स्वरस में 2 दिन तक घुटाई करें . ब्राह्मी का ताज़ा रस नहीं मिलने पर ब्राह्मी के काढ़े में घुटाई करें . फिर एक - एक रत्ती ( मूंग के दाने बराबर ) की गोलियां बनाकर छाया में सूखा लें .

 

ब्राह्मी वटी मात्रा और सेवन विधि (Brahmi vati quantity and dosage in Hindi):-

 

ब्राह्मी वटी की 1 से 2 गोली आवश्यकता अनुसार दिन में 2 से 3 बार विभिन्न अनुपान के साथ दी जाती है . रोग के अनुसार अनुपान अलग अलग होते हैं जैसे - पुराने बुखार में शहद के साथ , वातरोग व् नाड़ी दौर्बल्य में दशमूल काढ़े के साथ , ह्रदय की कमजोरी में खमीरे गाँजवा के साथ , चक्कर , हिस्टीरिया या मूर्छा के वेग में बड़ी मुनक्का ( बड़ी द्राक्षा ) के साथ , स्मरणशक्ति की कमज़ोरी व् मानसिक रोगों में सारस्वतारिष्ट या शंखपुष्पी सिरप के साथ तथा सामान्य रसायन के रूप में दूध के साथ थी जाती है .

 

ब्राह्मी वटी के फायदे व् उपयोग (benefits of brahmi vati in Hindi) :-

 

ब्राह्मी वटी मस्तिष्कीय अर्थात दिमागी एवं स्नायविक कमजोरी को दूर करने वाली उत्तम आयुर्वेदिक दवा है . ब्राह्मी वटी मस्तिष्क के साथ साथ वाट नाड़ी और ह्रदय को भी बल प्रदान करती है . अपस्मार ( मिर्गी ), भृम ( चक्कर ), सामान्य सी बात पर दुखी होकर बेहोशी आना ( योषापस्मार ), अवसाद , याददाश्त की कमी , वृद्धवस्थाजन्य मानसिक दौर्बल्यता ( अल्ज़ाइमर रोग ) के साथ ही पुराने बुखार या किसी भी लम्बी बीमारी के बाद आने वाली कमजोरी में भी ब्राह्मी वटी शीघ्र फायदा करती है .

 

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