' वृहत ब्राह्मी वटी ' ( स्वर्ण युक्त ) एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो मानसिक रोगों के अलावा अन्य रोगों में भी बहुत लाभ करती है . Biovatica के इस आर्टिकल में ब्राह्मी वटी ( वृहत ब्राह्मी वटी ) का सम्पूर्ण विवरण दिया जा रहा है .
अभ्रक भस्म , संगयशव पिष्टी , सोने का वर्क , अकीक पिष्टी , माणिक्य पिष्टी , प्रवाल पिष्टी , कहरवा पिष्टी , मोती पिष्टी और चंद्रोदय - सभी 9 औषधियों की 6 -6 ग्राम मात्रा लें . जायफल , जावित्री , बंशलोचन , लौंग , कूठ , काला जीरा , पीपल , पीपलामूल , दालचीनी , तेज पान , हरी इलायची के बीज , नागकेशर , अनिसून , सौंफ , धनिया , अकरकरा , असगंध , चित्रकमूल की छाल , कुलिंजन , रूमीमस्तंगी , शंखाहुली , सफ़ेद चंदन का चूर्ण - इन २२ औषधियों की 4-4 ग्राम मात्रा लें . कस्तूरी , अम्बर , ब्राह्मी , निशोथ , अगर और केशर - इन 6 औषधियों की 15 -15 ग्राम मात्रा लें . ब्राह्मी की ताज़ी बूटियों का स्वरस या सूखी ब्राह्मी का काढ़ा पृथक से तैयार कर लें .
सर्वप्रथम चंद्रोदय , केशर , कस्तूरी और अम्बर को खरल में पीस कर बारीक़ कर लें . इसके बाद सभी पिष्टियाँ व् भस्में तथा सोने का वर्क मिलाकर खरल में घोंटें . इसके बाद इसमें सभी शेष औषधियों का बारीक़ कपड़छान चूर्ण मिलाकर इसकी ब्राह्मी के स्वरस में 2 दिन तक घुटाई करें . ब्राह्मी का ताज़ा रस नहीं मिलने पर ब्राह्मी के काढ़े में घुटाई करें . फिर एक - एक रत्ती ( मूंग के दाने बराबर ) की गोलियां बनाकर छाया में सूखा लें .
ब्राह्मी वटी की 1 से 2 गोली आवश्यकता अनुसार दिन में 2 से 3 बार विभिन्न अनुपान के साथ दी जाती है . रोग के अनुसार अनुपान अलग अलग होते हैं जैसे - पुराने बुखार में शहद के साथ , वातरोग व् नाड़ी दौर्बल्य में दशमूल काढ़े के साथ , ह्रदय की कमजोरी में खमीरे गाँजवा के साथ , चक्कर , हिस्टीरिया या मूर्छा के वेग में बड़ी मुनक्का ( बड़ी द्राक्षा ) के साथ , स्मरणशक्ति की कमज़ोरी व् मानसिक रोगों में सारस्वतारिष्ट या शंखपुष्पी सिरप के साथ तथा सामान्य रसायन के रूप में दूध के साथ थी जाती है .
ब्राह्मी वटी मस्तिष्कीय अर्थात दिमागी एवं स्नायविक कमजोरी को दूर करने वाली उत्तम आयुर्वेदिक दवा है . ब्राह्मी वटी मस्तिष्क के साथ साथ वाट नाड़ी और ह्रदय को भी बल प्रदान करती है . अपस्मार ( मिर्गी ), भृम ( चक्कर ), सामान्य सी बात पर दुखी होकर बेहोशी आना ( योषापस्मार ), अवसाद , याददाश्त की कमी , वृद्धवस्थाजन्य मानसिक दौर्बल्यता ( अल्ज़ाइमर रोग ) के साथ ही पुराने बुखार या किसी भी लम्बी बीमारी के बाद आने वाली कमजोरी में भी ब्राह्मी वटी शीघ्र फायदा करती है .