ब्राह्मी के प्रयोग से बनने वाला भृंगराज तेल बालों को स्वास्थ्य प्रदान करने के साथ साथ स्मरणशक्ति बढ़ने वाला तथा मस्तिष्क और दिमागी कमज़ोरी भी दूर करता है। Biovatica के इस आर्टिकल में भृंगराज तेल की निर्माण विधि एवं उपयोग की जानकारी दी जा रही है।
भांगरे का रस ढाई लीटर , ब्राह्मी का रस सवा तीन सौ ग्राम , आंवले का रस सवा तीन सौ ग्राम , तिल का तेल पौने दो सौ ग्राम , ; हरड़ , बहेड़ा , आंवला , नागरमोथा , कचूर , लोथ , मजीठ , बावची , बरिआरा के फूल , चन्दन , पद्माख अनंत मूल , मंडूर , मेहंदी , प्रियंगु , मुलेठी , जटामांसी , और कूठ - सब 10 -10 ग्राम। इन औषधियों को पीस कर लुगदी बना लें और तीनो रस तथा तेल में मिलाकार मंदी आंच पर पकाएं। जब सिर्फ तेल बचे तब उतार कर छान लें। ठंडा करके बोतलों में भर लें। यह भृंगराल तेल (Bhringraj Oil ) बनकर तैयार हो गया ह।
भृंगराज तेल रोज़ाना सोते समय बालों की जड़ों में लगाकर 15 -20 मिनिट हलके हाथ से मालिश करने से बाल झड़ना और पकना व् सफ़ेद होना बंद होता है , सर दर्द नहीं होता , सर में खुश्की व् रूसी नहीं होती , बाल घने , लम्बे , काले और चमकीले बने रहते हैं। भृंगराज तेल के नियमित उपयोग से एक और फायदा ये है की दिमाग में ठंडक और शांति बनी रहती है।