Biovatica.Com के नियमित विज़िटर यह जानते ही होंगे की कब्ज़ और बवासीर इस विषय पर कई बार अत्यंत उपयोगी जानकारी हम पहले भी कई आर्टिकल्स में आपको बता चुके हैं . Biovatica के रेगुलर रीडर स्वस्थ रहने की इन शर्तों से भी परिचित हैं की एक शर्त है पेट साफ़ रहे और दूसरी शर्त है दिमाग साफ़ रहे . पेट ख़राब हो तो कई रोग पैदा हो जाते हैं और इनमे से ही एक रोग है बवासीर या अर्श , जिसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति की भाषा में पाईल्स या हेमोरोइड्स (Piles or hemorrhoids ) कहते हैं . बवासीर बीमारी या बवासीर रोग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस आर्टिकल में प्रस्तुत की जा रही है .
बवासीर एक बहुत कष्टदायक रोग है और यदि जल्दी ही इसे दूर न किया जा सके तो यह बढ़ता जाता है और रोगी का उठना बैठना भी मुश्किल हो जाता है . इस रोग में गुदा के अंकुर फूल कर मटर या अंगूर के बराबर हो जाते हैं . दरअसल ये अंकुर असामान्य रूप से फूली हुई रक्त शिराएं होती हैं जोकि गुदा या मलाशय के जोड़ पर या गुदा और गुदाद्वार की त्वचा के जोड़ पर स्थित होती हैं . इनकी स्थिति के आधार पर ही इन्हे आतंरिक या बाह्य बवासीर ( इंटरनल या एक्सटर्नल हेमोर्रोइड्स ) कहते हैं .
गलत खानपान , अनियमित और निष्क्रिय दिनचर्या तथा फ़ास्ट फ़ूड जैसे संशोधित खाद्य पदार्थ आज की आधुनिक जीवन शैली के मानक अंग हैं और इसी के कारण अधिकांश लोग कब्ज़ जैसी बीमारी से ग्रस्त है। कब्ज़ को बवासीर बीमारी की उत्पत्ति का मुख्य कारण माना जाता है। भारी , चिकने , तले हुए और तेज़ मिर्च मसालेदार खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन करने से पाचन शक्ति कमज़ोर होती है जिससे अपच होता है और कब्ज़ रहने लगता है। कब्ज़ होने पर मल सूखता है और ऐसी स्थिति में रोगी शौच करते समय एक तो ज़ोर लगाता है और दूसरा कड़े मल की रगड़ मल मार्ग की आतंरिक परत में स्थित शिराओं पर पड़ती है और परिणामस्वरूप वे शोथग्रस्त होकर फूल जाती हैं और बवासीर की बीमारी हो जाती है।
वैसे तो बवासीर की बीमारी होने का प्रमुख कारण कब्ज़ होना ही होता है लेकिन कुछ और कारण भी हो सकते हैं जैसे - वंशानुगत प्रभाव , आरामतलबी और श्रमहीन दिनचर्या , अधिक समय तक बैठने वाला काम , बेवक़्त अनियमित ढंग से गरिष्ठ या बासी भोजन करना , चाय या कॉफी का अत्यधिक सेवन करना , यकृत विकार , अपच , मंदाग्नि , मादक द्रव्यों का सेवन , क्रोधी व् ईर्ष्यालु स्वभाव , मानसिक तनाव व् चिंताओं से ग्रस्त रहना , गर्भावस्था आदि।