बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के आयुर्वेदिक उपचार
कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर को कम करने में उपयोगी कुछ आयुर्वेदिक योग इस आर्टिकल में प्रस्तुत किये जा रहे हैं. इनमे से किसी एक का प्रयोग लाभ न होने तक करना चाहिए.
अर्जुन की छाल का यवकूट चूर्ण 10 ग्राम लेकर उसे 200ml गाय के दूध में डालें तथा इसमें 200ml पानी मिलाकर धीमी आंच में पकाएं. जब केवल दूध बाकी रह जाए तब इसे छान लें. सुबह भूखे पेट इसका नियमित रूप से सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है.
नागरमोथा, पित्त पापड़ा, उशीर चन्दन, धनिया, सौंठ - इन द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर यवकूट कर मिश्रण बना कर रख लें. इसकी 10 ग्राम मात्रा 400ml पानी में डालकर धीमी आंच में तब तक पकाएं जब तक 100ml बाकी न रह जाए. इस क्वाथ को छानकर रोज सुबह खली पेट सेवन करने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है.
पिप्पली, पीपलामूल, सौंठ, चव्य और चित्रक, - इन पाँचों द्रव्य को समभाग लेकर चूर्ण बना लें. यह चूर्ण पंचकोल चूर्ण के नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक दवा की दुकानों पर मिलता है. इस चूर्ण की २-२ ग्राम मात्रा सुबह भूखे पेट गर्म पानी से और रात को सोते समय लेने से बढे हुए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
कोलेस्ट्रॉल की विशेष आयुर्वेदिक दवा - अर्जुन की छाल, अश्वगंधा, नागरमोथा , अतिश, वायविडंग, चित्रकमूल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, सौंठ, काली मिर्च, पिप्पली, तुलसी, दालचीनी, गिलोय- इन सब द्रव्यों को समान भाग लेकर घनसत्व विधि से घनसत्व निकाल लें. इस घनसत्व की 1 से 2 ग्राम मात्रा सुबह भूखे पेट तथा शाम को 5 बजे शहद के साथ लें. यह बढे हुए कोलेस्ट्रॉल का प्रामाणिक आयुर्वेदिक इलाज है.
कोलेस्ट्रॉल के लिए शास्त्रोक्त योग - आमलकी रसायन 100 ग्राम, विषाण भस्म 5 ग्राम, गिलोय सत्व 10 ग्राम, मोती पिष्टी 5 ग्राम, योगेंद्र रस 3 ग्राम, अभरक भस्म शतपुटी 5 ग्राम , इन सभी औषधियों को अच्छे से खरल कर बराबर मात्रा की 60 पुड़िया बना लें.
1 -1 पुड़िया सुबह भूखे पेट और शाम को पांच बजे शहद के साथ लें. दोनों वक़्त के भोजन के उपरान्त अर्जुनारिष्ट की तीन चम्मच एक चौथाई कप पानी में मिलकर लें. इसके अलावा सुबह भूखे पेट 2 -3 लहसुन की कलियों का सेवन करें.