Vasakasav uses in hindi, वासकासव के फायदे और बनाने की विधि

वासकासव के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

Vasakasav uses in hindi, वासकासव के फायदे और बनाने की विधि

वासकासव के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

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वासकासव (vasakasav)

अडूसा को मुख्य घटक द्रव्य के रूप में उपयोग कर बनाया जाने वाला वासकासव योग कफ तथा विभिन्न प्रकार के शोथों में लाभकारी होने के साथ साथ अन्य कई बिमारियों में भी बहुत उपयोगी सिद्ध होता है. वासकसाव का सम्पूर्ण विवरण इस आर्टिकल में बताया गया है.

वासकासव के घटक द्रव्य (ingredients of Vasakasav) :-

वासा पंचांग एक किलो, गुड़ 450 ग्राम, धाय के फूल 40 ग्राम तथा दालचीनी, तेजपात, छोटी इलायची के दाने, नागकेशर, शीतल मिर्च, सौंठ, काली मिर्च, पीपल और नेत्र बाला - 5-5 ग्राम. पानी २ लीटर 300 ml .

वासकासव बनाने की विधि (Vasakasav preparation method):-

सबसे पहले वासा के पंचांग को पानी में उबालें. जब यह उबाल कर एक तिहाई रह जाए तब उतार कर मसलकर छान लें. अब इसमें गुड़, धाय के फूल और बाकी नौ औषधियों का जौकुट किया हुआ चूर्ण मिलाकर अमृतबान में भर कर मुखमुद्रा कर 15 दिन रखे रहने दें. आसव परिपक्व होने पर छान कर बोतलों में भर लें. यह वासकासव तैयार हो गया.

वासकासव मात्रा और सेवन विधि (Vasakasav quantity and dosage)

वासकासव की तीन तीन छोटी चम्मच भर कर एक कप पानी के साथ दिन में दो बार लिया जाता है.

वासकासव के फायदे, उपयोग व् स्वास्थ्य लाभ (Benefits of Vasakasav, health benefits of Vasakasav in Hindi)

वासकासव सभी प्रकार के शोथों को दूर करता है. यह सांस नली की सूजन कम करने और कफ को पतला कर बाहर निकालने वाला होने से कफ वाली खांसी और सांस की बीमारी में बहुत फायदा करता है. इसके अतिरिक्त वासकासव आमवात, रक्तपित्त, खून की उलटी, रक्तप्रदर, विषमज्वर आदि बिमारियों में भी फायदा करता है और बहुत उपयोगी और लाभकारी है. श्वसन तंत्र के शोथ और अधिक कफ वाले दमा के मरीज के लिए वासकासव एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है. वासकासव के सेवन से शोथ दूर होने के साथ साथ कफ आसानी से बाहर निकलता है जिससे दमा , खांसी आदि के मरीज को फायदा होता है और उनकी बेचैनी दूर होती है.

 

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